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आइये आज सम्मानित करें 'सिने पहेली' प्रतियोगिता के विजेताओं को...

'सिने पहेली 'पुरस्कार वितरण सभा 'सिने पहेली' के सभी चाहनेवालों को सुजॉय चटर्जी का एक बार फिर से प्यार भरा नमस्कार। जैसा कि आप जानते हैं कि 'सिने पहेली' के महामुकाबले के अनुसार श्री प्रकाश गोविन्द और श्री विजय कुमार व्यास इस प्रतियोगिता के संयुक्त महाविजेता बने हैं, और साथ ही श्री पंकज मुकेश, श्री चन्द्रकान्त दीक्षित और श्रीमती क्षिति तिवारी सांत्वना पुरस्कार के हक़दार बने हैं। आज के इस विशेषांक के माध्यम से आइये इन सभी विजेताओं को इनके द्वारा अर्जित पुरस्कारों से सम्मानित करें। यह है 'सिने पहेली' प्रतियोगिता का पुरस्कार वितरण अंक। 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' की तरफ़ से महाविजेता को मिलता है 5000 रुपये का नकद इनाम। क्योंकि प्रकाश जी और विजय जी संयुक्त महाविजेता बने हैं, अत: यह राशि आप दोनों में समान रूप से विभाजित की जाती है।  श्री प्रकाश गोविन्द को 2500 रुपये की पुरस्कार राशि बहुत बहुत मुबारक़ हो! आपके बैंक खाते पर यह राशि ट्रान्सफ़र कर दी गई है। रेडियो प्लेबैक इंडिया : प्रकाश जी, इस पुरस्कार को स्वीकार

गायक मुकेश फिल्म ‘अनुराग’ में बने संगीतकार

भारतीय सिनेमा के सौ साल – 34 स्मृतियों का झरोखा : ‘किसे याद रखूँ किसे भूल जाऊँ...’   भारतीय सिनेमा के शताब्दी वर्ष में ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ द्वारा आयोजित विशेष अनुष्ठान- ‘स्मृतियों का झरोखा’ में आप सभी सिनेमा-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत है। आज माह का पाँचवाँ गुरुवार है और नए वर्ष की नई समय सारिणी के अनुसार माह का पाँचवाँ गुरुवार हमने आमंत्रित अतिथि लेखकों के लिए सुरक्षित कर रखा है। आज ‘स्मृतियों का झरोखा’ का यह अंक आपके लिए पार्श्वगायक मुकेश के परम भक्त और हमारे नियमित पाठक पंकज मुकेश लिखा है। पंकज जी ने गायक मुकेश के व्यक्तित्व और कृतित्व पर गहन शोध किया है। अपने शुरुआती दौर में मुकेश ने फिल्मों में पार्श्वगायन से अधिक प्रयत्न अभिनेता बनने के लिए किये थे, इस तथ्य से अधिकतर सिनेमा-प्रेमी परिचित हैं। परन्तु इस तथ्य से शायद आप परिचित न हों कि मुकेश, 1956 में प्रदर्शित फिल्म ‘अनुराग’ के निर्माता, अभिनेता और गायक ही नहीं संगीतकार भी थे। आज के ‘स्मृतियों का झरोखा’ में पंकज जी ने मुकेश के कृतित्व के इन्हीं पक्षों, विशेष रूप से उनकी संगीतकार-प्र

स्मृतियों के झरोखे से : भारतीय सिनेमा के सौ साल -7

मैंने देखी पहली फिल्म भारतीय सिनेमा के शताब्दी वर्ष में ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ द्वारा आयोजित विशेष अनुष्ठान- ‘स्मृतियों के झरोखे से’ में आप सभी सिनेमा प्रेमियों का हार्दिक स्वागत है। आज माह का चौथा गुरुवार है और आज बारी है- ‘मैंने देखी पहली फिल्म’ की। इस द्विसाप्ताहिक स्तम्भ के पिछले अंक में सुनीता शानू की देखी पहली फिल्म के संस्मरण के साझीदार रहे। आज का संस्मरण रेडियो प्लेबैक इण्डिया के नियमित पाठक बैंगलुरु के पंकज मुकेश का है। यह भी प्रतियोगी वर्ग की प्रविष्ठि है। ‘मैं ना भूलूँगा...’ मे रे जीवन की पहली फिल्म, जो सिनेमाघर में देखी, वो है- ‘हमसे है मुक़ाबला’ । प्रभुदेवा और नगमा अभिनीत इस फिल्म में ए.आर. रहमान का संगीत था। रहमान हिन्दी फिल्मी दुनिया में उस समय नये-नये आए थे, अपनी 2-3 सफल फिल्मों (रोजा, बाम्बे आदि) के बाद। संगीत के साथ-साथ प्रभुदेवा का डांस वाकई कमाल का था। हिन्दी डबिंग के गीतकार पी.के. मिश्रा के गाने भी बहुत मक़बूल हुए थे। ये फिल्म मैंने अपने स्कूल के 2-4 दोस्तों के साथ बिना किसी इच्छा के, देखने गया था। बात उस समय की है जब यह फिल्म पहली बार परदे पर प्रदर्

पार्श्वगायक मुकेश के जन्मदिवस पर विशेष प्रस्तुति

सावन का महीना और मुकेश का अवतरण हिन्दी फिल्मों में १९४१ से १९७६ तक सक्रिय रहने वाले मशहूर पार्श्वगायक स्वर्गीय मुकेश फिल्म-संगीत-क्षेत्र में अपनी उत्कृष्ठ स्तर की गायकी के लिए हमेशा याद किये जाते रहे हैं। हिन्दी फिल्मों में उन्हें सर्वाधिक ख्याति उनके गाये दर्द भरे नगमों से मिली। इसके अलावा उन्होने कई ऐसे गीत भी गाये हैं, जो राग आधारित गीतों की श्रेणी में आते हैं। २२ जुलाई, २०१२ को मुकेश जी का ८८-वां सालगिरह है। आज उनके जन्मदिवस की पूर्वसंध्या पर रेडियो प्लेबैक इंडिया के नियमित पाठक और मुकेश के अनन्य भक्त पंकज मुकेश, इस विशेष आलेख के माध्यम से मुकेश के गाये गीतों की चर्चा कर रहे हैं। साथ ही आपको सुनवा रहे हैं उनके गाये कुछ सुमधुर गीत। मि त्रों, मानसून के आने से ऋतुओं की रानी वर्षा, अपने पूरे चरम पर विराजमान है। दरअसल सावन के महीने और पार्श्वगायक मुकेश के बीच सम्बन्ध बहुत ही गहरा है। मुकेश जी की बहन चाँद रानी के अनुसार २२जुलाई, १९२३ को रविवार का दिन था, धूप खिली थी और मुकेश के जन्म के साथ ही अचानक सावन की रिमझिम बूँदें बरस पड़ीं और पूरा माहौल खुशनुमा हो गया। आइये शुर