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Y2K: पार्श्वगायन के नए दौर में प्रतिभाओं का अम्बार

भूमिका हिंदी फ़िल्म संगीत के हर दौर में कुछ निर्दिष्ट गायकों ने राज किया है और हर पीढ़ी में हम गिने चुने गायकों का नाम भी ले सकते हैं जो अपने दौर में पूरी तरह से छाये रहे, अपने दौर का जिन्होने प्रतिनिधित्व किया। लेकिन आज फ़िल्म संगीत का जो दौर चला है, उसमें एक दम से इतने सारे नये गायक आ गये हैं कि हिसाब रखना मुश्किल हो रहा है कि कौन सा गीत किस गायक ने गाया है। बहुत ही कम समय में इतने सारे गायकों के आ जाने से जहाँ एक तरफ़ प्रतियोगिता बहुत ज़्यादा बढ़ गयी है, वहीं दूसरी तरफ़ नयी नयी आवाज़ों से फ़िल्म संगीत में एक नयी ताज़गी भी आयी है। कुछ भी हो, इतना ज़रूर साफ़ है कि इन बहुत सारी आवाज़ों में वही आवाज़ें बहुत आगे तक जा पायेंगी जिनमें कुछ अलग हटके बात हो! एक समय ऐसा था जब नये गायक पुराने ज़माने के दिग्गज गायकों की आवाज़ को अपनी गायिकी का आधार बनाकर इस क्षेत्र में क़दम रखते थे और सफलता भी हासिल करते थे, लेकिन आज उस तरह से बात बिल्कुल नहीं बनेगी। आज वही आवाज़ मशहूर है जो दूसरों से अलग है, जुदा है। यह एक अच्छा लक्षण है कि आज के युवा गायक शुरु से ही अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश कर रहे हैं। &q

नयी शृंखलाओं से आबाद होगा "आवाज़" अब

आवाज़ पर संगीत के दो कामियाब सत्र पूरे हो चुके हैं. तीसरे सत्र को हम एक विशाल आयोजन बनाना चाहते हैं. अतः कुछ रुक कर ही इसे शुरू करने का इरादा है. जैसा की हम बता चुके हैं कि दूसरे सत्र के विजेताओं को फरवरी 2010 में पुरस्कृत किया जायेगा और तभी हिंद युग्म अपना दूसरा संगीत एल्बम भी जारी करेगा. आवाज़ प्रतिदिन कम से कम 2 संगीतभरी/आवाज़भरी प्रस्तुतियाँ प्रसारित करता है। आवाज़ पर मुख्य रूप से निम्नलिखित प्रकार से तथा निम्नलिखित प्रकार के आयोजन होते हैं। संगीतबद्ध गीत- हिन्द-युग्म आवाज़ के माध्यम से इंटरनेट पर ही संगीत तैयार करता आया है। इसके अंतर्गत आवाज़ के नियंत्रक व संपादक सजीव सारथी गीतकार, संगीतकार और गायकों को जोड़ते रहे हैं। इस परम्परा की शुरूआत सर्वप्रथम हिन्द-युग्म के सजीव सारथी ने ही की। जब सजीव ने इस माध्यम से बना अपना पहला गीत 'सुबह की ताज़गी' को इंटरनेट पर रीलिज किया। इस गीत में हैदराबाद के इंजीनियर संगीतकार ऋषि एस॰ ने संगीत दिया था और गीत को गाया था नागपुर के सुंदर गायक सुबोध साठे ने। जल्द ही हिन्द-युग्म इस माध्यम से बना अपना पहला एल्बम 'पहला सुर' को विश्व पुस्तक