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बंद कमरे की राजनीति में संगीत का तडका

प्लेबैक वाणी -36 - संगीत समीक्षा - साहेब बीबी और गैंगस्टर रिटर्न्स तिग्मांशु धुलिया की सफल   साहेब बीवी और गैंगस्टर   में शयनकक्ष के भीतर का जिस्मानी खेल कैमरे की जद में था , और संगीत के नाम पर एक   जुगनी   का ही जोर था. खैर एक बार फिर तिग्मांशु लौटे है और वापसी हुई है गैंगस्टर की , नए संस्करण में गैंगस्टर बने हैं इरफ़ान. आजकल बॉलीवुड में पुरानी फिल्मों के रिमेक और ताज़ा हिट फिल्मों में द्रितीय तृतीय संस्करणों के अलावा शायद कुछ नही हो रहा है...खैर आज बात करते हैं   ‘ साहेब बीबी और गैंगस्टर रिटर्न्स ’   के संगीत के बारे में. जहाँ पहले संस्करण में संगीतकारों की लंबी फ़ौज मौजूद थी नए संस्करण का पूरा जिम्मा बेहद प्रतिभाशाली संदीप चौठा ने उठाया है. शुद्ध हिंदी और कुछ संस्कृत शब्दों को जड़ कर रचा गया है छल कपट   गीत. जिसे गाया है पियूष मिश्रा ने. पियूष का ये  नाटकीय अंदाज़ एक अलग जोनर बनकर आजकल फिल्मों में छाया हुआ है.   गुलाल   और   गैंग्स ऑफ वासेपुर   की ही तरह यहाँ भी शब्दों की प्रमुखता अधिक है , धुन और संयोजन के मामले में कोई खास नयापन नहीं है. शब्द निश्च