स्वरगोष्ठी – 372 में आज 
राग से रोगोपचार – 1 : सुबह का राग भैरव 
उच्च रक्तचाप, सिरदर्द, चक्कर, ज्वर आदि रोगों के निदान में राग भैरव के स्वर उपयोगी 
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| उस्ताद सइदुद्दीन डागर | 
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| पं. श्रीकुमार मिश्र | 
राग
 भैरव भारतीय संगीत का एक प्राचीन राग है। इस राग के गायन, वादन अथवा श्रवण
 से कई शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिल सकती है। राग भैरव के आरोह 
के स्वर हैं; सा, रे(कोमल), ग, म, प, ध(कोमल), नि, सां तथा अवरोह के स्वर हैं; सां, नि, ध(कोमल), प, म, ग, रे(कोमल), सा। इसके मुख्य स्वर हैं; ग, म, ध(कोमल), प, म, प, ग, म, रे(कोमल), सा, ग, म, ध(कोमल)
 स्वरावलियों के द्वारा प्रिय के निधन से हुए मानसिक आघात एवं प्रबल 
शोक-भाव के कारण उत्पन्न आवेगयुक्त प्रबल पुकार का भाव महसूस होता है। उक्त
 भाव में आंशिक स्थिरता का अनुभव पंचम स्वर पर आने से होता है। ग, म, रे(कोमल), सा, स्वरों के माध्यम से उक्त शोक-भाव में आंशिक शान्ति का अनुभव होता है। ग, म, ध(कोमल), नि, - सां, रें, सां, - नि, ध(कोमल),
 प, के द्वारा शोक-भाव में तीव्रता तथा अवरोहात्मक प्रक्रिया में 
शान्तिपूर्ण स्थिरता का भाव महसूस होता है। इस राग के स्वरों को स्वरयोग 
विधि से गायन अथवा इस राग के गायन या वादन का श्रवण करने से मानसिक आघात, 
विषाद के साथ-साथ उक्त मानसिक समस्याओं के कारण उत्पन्न उच्च रक्तचाप, 
सिरदर्द, चक्कर, ज्वर, स्वांस फूलना आदि विकारों से मुक्ति मिल सकती है। 
लीजिए, अब आप राग भैरव में निबद्ध भारतीय संगीत की एक प्राचीन शैली, ध्रुपद
 अथवा ध्रुवपद की एक रचना सुनिए। इसे सुप्रसिद्ध गायक उस्ताद सइदुद्दीन 
डागर ने स्वर दिया है। 
राग भैरव : ध्रुपद : “आदि मध्य अन्त शिव आली...” : उस्ताद सइदुद्दीन डागर 
आज
 का प्रातःकालीन राग भैरव इसी नाम से प्रचलित भैरव थाट का आश्रय राग है। इस
 राग का गायन अथवा वादन प्रातःकालीन सन्धिप्रकाश काल में किया जाता है। राग
 भैरव सम्पूर्ण जाति का राग है किन्तु इसमें ऋषभ और धैवत स्वर कोमल प्रयोग 
होता है। इसका वादी स्वर धैवत और संवादी स्वर ऋषभ होता है। ऋषभ और धैवत 
स्वर पर आन्दोलन किया जाता है। यह गम्भीर प्रकृति का राग है, जिसमें 
ध्रुपद, विलम्बित व द्रुत खयाल और तराना गाया-बजाया जाता है। इस राग में 
ठुमरी नाही गायी जाती। राग भैरव पर आधारित फिल्मी गीतों में से एक अत्यन्त 
मनमोहक गीत आज हमने चुना है। 1956 में विख्यात फ़िल्मकार राज कपूर ने 
महत्वाकांक्षी फिल्म ‘जागते रहो’ का निर्माण किया था। इस फिल्म के संगीतकार
 सलिल चौधरी का चुनाव स्वयं राज कपूर ने ही किया था, जबकि उस समय तक 
शंकर-जयकिशन उनकी फिल्मों के स्थायी संगीतकार बन चुके थे। फिल्म ‘जागते 
रहो’ बाँग्ला फिल्म ‘एक दिन रात्रे’ का हिन्दी संस्करण था और बाँग्ला 
संस्करण के संगीतकार सलिल चौधरी को ही हिन्दी संस्करण के संगीत निर्देशन का
 दायित्व दिया गया था। सलिल चौधरी ने इस फिल्म के गीतों में पर्याप्त 
विविधता रखी। इस फिल्म में उन्होने एक गीत ‘जागो मोहन प्यारे, जागो...’ की 
संगीत रचना भैरव राग के स्वरों पर आधारित की थी। राग भैरव की एक पारम्परिक 
रचना की स्थायी की पंक्तियाँ बरकरार रखते हुए शैलेन्द्र ने गीत के अन्तरे 
को लिखा। यह गीत जब लता मंगेशकर के स्वरों में ढला, तब यह गीत हिन्दी फिल्म
 संगीत का मीलस्तम्भ बन गया। आइए, आज हम राग ‘भैरव’ पर आधारित, फिल्म 
‘जागते रहो’ का यह गीत सुनते हैं। आप इस गीत का रसास्वादन करें और हमें 
श्रृंखला की पहली कड़ी को यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए। 
राग भैरव : ‘जागो मोहन प्यारे...’ : लता मंगेशकर और साथी : फिल्म - जागते रहो 
संगीत पहेली 
 
‘स्वरगोष्ठी’
 के 372वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको आठवें दशक की एक फिल्म से 
रागबद्ध गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको दो अंक 
अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के उत्तर 
देने आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों प्रश्नों का 
उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। 380वें अंक की 
‘स्वरगोष्ठी’ तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें वर्ष 2018 के
 तीसरे सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे वर्ष के 
प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की घोषणा की 
जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।  
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग का स्पर्श है? 
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए। 
3 – इस गीत में किस गायिका के स्वर है।? 
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
 पर ही शनिवार, 9 जून, 2018 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि 
उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली 
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
 में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
 देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर 
स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम
 के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के 374वें अंक में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में 
प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या 
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी 
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं। 
पिछली पहेली के विजेता 
 “स्वरगोष्ठी” की इस पहेली प्रतियोगिता में तीनों अथवा तीन में से दो प्रश्नो के सही उत्तर देकर विजेता बने हैं; वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, पेंसिलवेनिया, अमेरिका से विजया राजकोटिया, मुम्बई, महाराष्ट्र से शुभा खाण्डेकर, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर ई-मेल से ही भेजा करें। उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक उत्तर भी ज्ञात हो तो भी आप इसमें भाग ले सकते हैं।
अपनी बात 
मित्रों,
 ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर आज से 
आरम्भ हमारी महत्त्वाकांक्षी श्रृंखला “राग से रोगोपचार” की पहली कड़ी में 
आपने कुछ शारीरिक और मनोशारीरिक रोगों के उपचार में सहयोगी राग भैरव का 
परिचय प्राप्त किया और इस राग में पिरोया एक ध्रुपद रचना का उस्ताद 
सइदुद्दीन डागर के स्वर में रसास्वादन किया। इसके साथ ही इसी राग पर आधारित
 फिल्म “जागते रहो” का एक फिल्मी गीत कोकिलकण्ठी लता मंगेशकर के स्वर में 
सुना। हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी “स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक
 का अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजते रहेगे। आज के अंक 
के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। हमारी वर्तमान अथवा
 अगली श्रृंखला के लिए यदि आपका कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें swargoshthi@gmail.com
 पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे। 
शोध व आलेख : पं. श्रीकुमार मिश्र    
सम्पादन व प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
 सम्पादन व प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
राग भैरव : SWARGOSHTHI – 372 : RAG BHAIRAV : 3 जून, 2018 
 
 
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