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राग अड़ाना : SWARGOSHTHI – 480 : RAG ADANA

स्वरगोष्ठी – 480 में आज   आसावरी थाट के राग – 2 : राग अड़ाना   पण्डित जसराज से राग अड़ाना में एक रागदारी भक्ति-रचना और उस्ताद अमीर खाँ से फिल्मी गीत सुनिए  पण्डित जसराज  उस्ताद अमीर खाँ  “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी श्रृंखला “आसावरी थाट के राग” की दूसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र अर्थात कुल बारह स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए इन बारह स्वरों में से कम से कम पाँच स्वरों का होना आवश्यक होता है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के बारह में से मुख्य सात स्वरों के क्रमानुसार समुदाय को थाट कहते हैं, जिससे राग उत्पन्न होते हों। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे जी ने प्रारम्

ऑडियो: धनी (कन्हैयालाल पाण्डेय)

'बोलती कहानियाँ' स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछली बार आपने कन्हैयालाल पाण्डेय के स्वर में उन्हीं की कहानी सम्वेदनाएँ का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं कन्हैयालाल पाण्डेय की लघुकथा "धनी" , जिसे स्वर दिया है, कन्हैयालाल पाण्डेय ने। इस रचना का कुल प्रसारण समय 3 मिनट 51 सेकण्ड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानी, उपन्यास, नाटक, धारावाहिक, प्रहसन, झलकी, एकांकी, या लघुकथा को स्वर देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। कन्हैयालाल पाण्डेय 4 नवम्बर, 1954 को हरदोई में जन्म। भारतीय रेल यातायात सेवा (सेवानिवृत्त)। हिन्दी में छह साहित्यिक तथा दो संगीत पुस्तकों का लेखन। साहित्य व संगीत के क्षेत्र में अनेक पुरस्कारों से सम्मानित हर सप्ताह यहीं पर सुनिए एक नयी कहानी "पता नहीं क्यों उसकी बुद्धि में यह बात कभी नहीं आती।" ( कन्हैयालाल पाण्डेय की "धनी" से एक अंश ) नीचे के प्लेयर

थाट व राग आसावरी : SWARGOSHTHI – 479 : THAT & RAG ASAVARI

स्वरगोष्ठी – 479 में आज आसावरी थाट के राग – 1 : राग आसावरी   पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर से राग आसावरी में एक रागदारी रचना और हेमन्त कुमार से फिल्मी गीत सुनिए  हेमन्त कुमार  पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर  “रेडियो प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी नई श्रृंखला “आसावरी थाट के राग” की पहली कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र अर्थात कुल बारह स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए इन बारह स्वरों में से कम से कम पाँच स्वरों का होना आवश्यक होता है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के बारह में से मुख्य सात स्वरों के क्रमानुसार समुदाय को थाट कहते हैं, जिससे राग उत्पन्न होते हों। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे जी ने