इस लघुकथा का टेक्स्ट अनुराग शर्मा के ब्लॉग बर्ग वार्ता पर उपलब्ध है। इस कथा का कुल प्रसारण समय 2 मिनट 0 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।
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बीज कनक के यूँ बोते न, यदि सार्थक कर पाते दिन तो रातों को उठकर रोते न। ~ अनुराग शर्मा हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी हिन्दी कहानी "अच्छा! यहाँ मज़दूरी करते हो? कितने पैसे मिल जाते हैं रोज़ के?” (अनुराग शर्मा की लघुकथा "तर्पण" से एक अंश) |
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तर्पण MP3
#22nd Story, Tarpan (Laghukatha): Anurag Sharma/Hindi Audio Book/2018/22. Voice: Anurag Sharma