Skip to main content

Posts

श्रद्धांजलि : SWARGOSHTHI – 314 : A TRIBUTE

स्वरगोष्ठी – 314 में आज विशेष अंक : किशोरी ताई को भावभीनी श्रद्धांजलि फिल्म “भिन्न षडज” के माध्यम से विदुषी किशोरी अमोनकर की स्मृतियों को सादर नमन ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के मंच पर ‘स्वरगोष्ठी’ के विशेष अंक में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। मित्रों, आज के इस अंक में हम भारतीय संगीत जगत की सुप्रसिद्ध गायिका विदुषी किशोरी अमोनकर को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। विगत 3 अप्रैल 2017 को शास्त्रीय संगीत की सुप्रसिद्ध गायिका पद्मविभूषण किशोरी अमोनकर का 84 वर्ष की आयु में देहावसान हो जाने से हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत जगत को गहरी क्षति पहुँची है। शास्त्रीय संगीत जगत में किशोरी जी का जो स्थान रिक्त हुआ है, उसकी पूर्ति हो पाना सम्भव नहीं है। संयोग से निधन के अगले सप्ताह सोमवार 10 अप्रैल को किशोरी जी का जन्मदिवस था। आज के इस विशेष अंक में हम किशोरी अमोनकर जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर निर्मित एक फिल्म का प्रदर्शन आपके लिए कर रहे हैं। सुप्रसिद्ध फ़िल्मकार अमोल पालेकर और संध्या गोखले द्वारा निर्देशित इस फिल्

चित्रकथा - 15: नक़्श लायलपुरी के लिखे 60 मुजरे (भाग - 1)

अंक - 15 नक़्श लायलपुरी के लिखे 60 मुजरे - भाग 1 "भरोसा कर लिया जिस पर, उसी ने हमको लूटा है..."  ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। समूचे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है और भारत कोई व्यतिक्रम नहीं। बीसवीं सदी के चौथे दशक से सवाक् फ़िल्मों की जो परम्परा शुरु हुई थी, वह आज तक जारी है और इसकी लोकप्रियता निरन्तर बढ़ती ही चली जा रही है। और हमारे यहाँ सिनेमा के साथ-साथ सिने-संगीत भी ताल से ताल मिला कर फलती-फूलती चली आई है। सिनेमा और सिने-संगीत, दोनो ही आज हमारी ज़िन्दगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं। ’चित्रकथा’ एक ऐसा स्तंभ है जिसमें बातें होंगी चित्रपट की और चित्रपट-संगीत की। फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत से जुड़े विषयों से सुसज्जित इस पाठ्य स्तंभ में आपका हार्दिक स्वागत है।  एक बार ’विविध भारती’ के एक साक्षात्कार में गीतकार नक़्श लायलपुरी साहब ने फ़रमाया था कि उन्होंने क़रीब 60 मुजरे लिखे हैं जो कि अलग-अलग रंग, अलग-अलग मिज़ाज के हैं। उन्होंने श्रोताओं से इन्हें सुनने का भी सुझाव दिया था। य

गीत अतीत 09 || हर गीत की एक कहानी होती है || इतना तुम्हें || मशीन || अराफात महमूद

Geet Ateet 09 Har Geet Ki Ek Kahani Hoti Hai... Itna Tumhe Machine  Arafat Mehmood - Lyricist Add caption अब्बास मस्तान निर्देशित "मशीन" का गीत 'इतना तुम्हें' फिल्म के प्रोमो से पहले जारी हुआ, और खूब पसंद किया गया, ९० के दशक में आई फिल्म "यलगार" के गीत 'आखिर तुम्हें आना है' का रीक्रिएशन है ये गीत, जिसे नए अंदाज़ में ढाला है तनिष्क बागची ने, गाया है यासीर देसाई और शाशा तिरुपति ने, और लिखा है अराफात महमूद ने, सुनते है गीतकार अराफात महमूद की जुबानी, इतना तुम्हें गीत के बनने की कहानी....  डाउनलोड कर के सुनें  यहाँ  से.... सुनिए इन गीतों की कहानियां भी - ओ रे रंगरेज़ा (जॉली एल एल बी) मैनरलैस मजनूं (रंनिंग शादी डॉट कॉम) रंग (अरविन्द तिवारी, गैर फ़िल्मी सिंगल) हमसफ़र (बदरी की दुल्हनिया) सनशाईन (गैर फ़िल्मी सिंगल) हौले हौले (गैर फ़िल्मी सिंगल) कागज़ सी है ज़िन्दगी  बेखुद