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सुन सुगना रे...तापस रेलिया का रचा एक मधुर गीत

ताज़ा सुर ताल -2014 -16 दो स्तों कुछ फिल्मों ऐसी होती हैं जो ह्रदय को चीर जाती है, आपकी संवेदनाओं को इस कदर कुरेद जाती है कि फिल्म खत्म होने के बाद देर तक आपका मन रोता रहता है. नागेश कुकनूर एक ऐसे निर्देशक हैं जो फ़िल्में बनाते हैं ताकि समाज मनोरजन की खुमारी को छोड़ कभी कभी सच का आईना भी देखें सिनेमा के अन्धकार भरे हॉल में बैठकर. उनकी ताज़ा फिल्म "लक्ष्मी" मानव तस्करी पर एक विवेचनात्मक अभिव्यक्ति है. एक 13 साल की मासूम बच्ची को वैश्यावृति के दलदल में धकेल दिया जाता है और कैसे वो नन्हीं जान हिम्मत के साथ उन परिस्तिथियों का सामना करती है यही इस पौने दो घंटे की फिल्म बेहद सच्चाई के साथ दर्शाया गया है.  जब मैंने ये फिल्म देखी तो मुझे अंदाजा नहीं था कि फिल्म में एक संगीत पक्ष भी होगा, हालाँकि फिल्म की नायिका के रूप में चयन किया गया है मोनाली ठाकुर ( संवार लूं - लूटेरा)  का. इन्डियन आइडल के गलियारों से निकल मोनाली ने पार्श्वगायन के साथ साथ अभिनय में भी अपनी सशक्त उपस्तिथि दर्ज कराई है. फिल्म की एल्बम में कुल ४ गीत हैं जिसमें से सिर्फ एक ही मोनाली के हिस्से आया है. फिल्म के

जीवन के अंतिम सच से जुडी एक जरूरी सीख मुकेश के इस गीत में

खरा सोना गीत - जो चला गया उसे भूल जा   प्रस्तोता - अंतरा चक्रवर्ती  स्क्रिप्ट - सुजोय चट्टरजी प्रस्तुति - संज्ञा टंडन

अनूठा घन-वाद्य जलतरंग

स्वरगोष्ठी – 163 में आज संगीत वाद्य श्रृंखला - 1 जल भरे प्यालों से उपजे स्वर-तरंग अर्थात मनोहर संगीत वाद्य जलतरंग ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर आज एक नवीन श्रृंखला के प्रथम अंक के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र, सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। मित्रों, इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के कुछ अनूठे वाद्यों की चर्चा करेंगे। वर्तमान में प्रचलित अनेक वाद्य हैं जो प्राचीन वैदिक परम्परा से जुड़े हैं और समय के साथ क्रमशः विकसित होकर हमारे सम्मुख उपस्थित हैं। कुछ ऐसे भी वाद्य हैं जिनकी उपयोगिता तो है किन्तु धीरे-धीरे अब ये लुप्तप्राय हो रहे हैं। इस श्रृंखला में हम कुछ लुप्तप्राय और कुछ प्राचीन वाद्यों के परिवर्तित व संशोधित स्वरूप में प्रचलित वाद्यों का उल्लेख करेंगे। श्रृंखला की पहली कड़ी में आज हम आपसे एक प्राचीन वाद्य ‘जलतरंग’ की चर्चा करेंगे। जल से भरे विभिन्न स्वरों के छोटे-बड़े प्यालों पर आघात कर संगीत उत्पन्न करने वाले इस वाद्य के आज देश में कुछ गिने-चुने वादक ही हैं। आज के अंक में आपको इस वाद्य के दो प्रत