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जय प्रकाश उर्फ जे पी - दीपक बाबा

इस साप्ताहिक स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवा रहे हैं हिन्दी की रोचक कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में गिरिजाशंकर भगवानजी "गिजुभाई" बधेका की गुजराती लोक-कथा " भोला भट्ट " का पॉडकास्ट सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं दीपक बाबा की कहानी " जय प्रकाश उर्फ जे पी " जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। इस कहानी का टेक्स्ट " दीपक बाबा की बकबक " ब्लॉग पर उपलब्ध है। इस कहानी का कुल प्रसारण समय 8 मिनट 57 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। जब दुनिया ही तमाशा बन जाए - तो बक बक करने में बुराई क्या है। ~ दीपक बाबा हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी कहानी सफ़ेद बाल मोटा चश्मा और उम्र लगभग ७०-७२ साल मुस्कुराहट के साथ। ( दीपक बाबा की कहानी "जय प्रकाश उर्फ जे पी" से एक अंश ) नीचे के प्लेयर से सुनें: (प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।) यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे

सुनने वालों को ‘हूकां’ मार पुकारता है ‘नौटकी साला’ का संगीत

प्लेबैक वाणी -41 - संगीत समीक्षा - नौटंकी साला सीमित संसाधनों का इस्तेमाल कर कम बजट की फिल्मों का चलन इन दिनों बॉलीवुड में जोरों पर है. इन फिल्मों में अक्सर अनोखी कहानियाँ के तजुर्बे होते हैं और अगर इन फिल्मों में संगीत जोरदार हो तो मज़ा कई गुना बढ़ जाता है. आज हम एक ऐसी ही फिल्म के संगीत की चर्चा करेंगे जिसमें सभी कलाकार अपेक्षाकृत नए या कम चर्चित हैं और जहाँ गीत संगीत का जिम्मा भी किसी एक बड़े संगीतकार गीतकार ने नहीं बल्कि नए और उभरते हुए कलाकारों की पूरी टीम ने मिलकर संभाला है. फिल्म है ‘नौटंकी साला’ जिसके संगीत की चर्चा आज हम करेंगें ताजा सुर ताल के इस साप्ताहिक स्तंभ में. बेहद प्रतिभाशाली फलक शबीर ने अपने ही लिखे और स्वरबद्ध गीत को अपनी आवाज़ दी है मेरा मन गीत में. हालाँकि ये उनका कोई नया गीत नहीं है, उनकी एक पुरानी प्रसिद्ध एल्बम का मशहूर गीत था ये, पर अधिकतर भारतीय श्रोताओं के ये काफी हद तक अनसुना ही है, यही कारण है कि ये गीत तेज़ी से इन दिनों लोकप्रिय हुआ जा रहा है. इस सरल मधुर रोमांटिक गीत में युवा धडकनों को धड़काने का पर्याप्त

एक गीत और सात रागों की इन्द्रधनुषी छटा

स्वरगोष्ठी – 115 में आज रागों के रंग रागमाला गीत के संग – 3 राग रामकली, तोड़ी, शुद्ध सारंग, भीमपलासी, यमन कल्याण, मालकौंस और भैरवी के इन्द्रधनुषी रंग दो सप्ताह के अन्तराल के बाद लघु श्रृंखला ‘रागों के रंग, रागमाला गीत के संग’ की तीसरी कड़ी लेकर मैं, कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों की इस गोष्ठी में उपस्थित हूँ। इस लघु श्रृंखला की तीसरी कड़ी में आज हम जो रागमाला गीत प्रस्तुत कर रहे हैं, उसे हमने 1981 में प्रदर्शित फिल्म ‘उमराव जान’ से लिया है। भारतीय फिल्मों में शामिल रागमाला गीतों में यह उच्चस्तर का गीत है, जिसमें क्रमशः राग रामकली, तोड़ी, शुद्ध सारंग, भीमपलासी, यमन कल्याण, मालकौंस और भैरवी का समिश्रण किया गया है। वास्तव में फिल्म का यह रागमाला गीत इन रागों की पारम्परिक बन्दिशों की स्थायी पंक्तियों का मोहक संकलन है। गीत में रागों का क्रम प्रहर के क्रमानुसार है।    भा रतीय संगीत की परम्परा में जब किसी एक गीत में कई रागों का क्रमशः प्रयोग हो और सभी राग अपने स्वतंत्र अस्तित्व में उपस्थित हों तो उस रचना को रागमाला कहते हैं। रागमाला की