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'सिने पहेली' में आज ताज महल का ज़िक्र

2 फ़रवरी, 2013 सिने-पहेली - 57  में आज   याद कीजिये 'ताजमहल' वाले गीतों को 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी पाठकों और श्रोताओं को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। दोस्तों, दुनिया के सात अजूबों में एक अजूबा है 'ताज महल'। ताज महल को प्रेम का स्मारक (Monument of Love) भी कहा गया है। इससे बेहतरीन प्यार की निशानी और कोई हो ही नहीं सकती। सन्‍ -1631 में जब मुग़ल बादशाह शाहजहाँ की तीसरी पत्नी मुमताज़ महल की 14-वीं सन्तान (गौहरा बेगम) के जन्म के समय मृत्यु हो गई, तब शाहजहाँ शोक में डूब गए थे। मुमताज़ के प्रति उनके दिल में इतना प्यार था कि इसके अगली ही साल, 1632 में उन्होंने मुमताज़ की याद में 'ताज महल' के निर्माण का कार्य शुरू कर दिया। इसका निर्माण 1648 में जा कर सम्पन्न हुआ, और इसके आस-पास की इमारतों और बगीचों के निर्माण में और 5 साल लग गए। शाहजहाँ ने ताज महल की कुछ इन शब्दों में व्याख्या की थी : "Should guilty seek asylum here, Like one pardoned, he becomes free from sin. Should a sinner make his way to this mansion, All his past sin

गायक मुकेश फिल्म ‘अनुराग’ में बने संगीतकार

भारतीय सिनेमा के सौ साल – 34 स्मृतियों का झरोखा : ‘किसे याद रखूँ किसे भूल जाऊँ...’   भारतीय सिनेमा के शताब्दी वर्ष में ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ द्वारा आयोजित विशेष अनुष्ठान- ‘स्मृतियों का झरोखा’ में आप सभी सिनेमा-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत है। आज माह का पाँचवाँ गुरुवार है और नए वर्ष की नई समय सारिणी के अनुसार माह का पाँचवाँ गुरुवार हमने आमंत्रित अतिथि लेखकों के लिए सुरक्षित कर रखा है। आज ‘स्मृतियों का झरोखा’ का यह अंक आपके लिए पार्श्वगायक मुकेश के परम भक्त और हमारे नियमित पाठक पंकज मुकेश लिखा है। पंकज जी ने गायक मुकेश के व्यक्तित्व और कृतित्व पर गहन शोध किया है। अपने शुरुआती दौर में मुकेश ने फिल्मों में पार्श्वगायन से अधिक प्रयत्न अभिनेता बनने के लिए किये थे, इस तथ्य से अधिकतर सिनेमा-प्रेमी परिचित हैं। परन्तु इस तथ्य से शायद आप परिचित न हों कि मुकेश, 1956 में प्रदर्शित फिल्म ‘अनुराग’ के निर्माता, अभिनेता और गायक ही नहीं संगीतकार भी थे। आज के ‘स्मृतियों का झरोखा’ में पंकज जी ने मुकेश के कृतित्व के इन्हीं पक्षों, विशेष रूप से उनकी संगीतकार-प्र

बोलती कहानियाँ: अपनों ने लूटा - डा. अमर कुमार

'बोलती कहानियाँ' स्तम्भ के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको प्रसिद्ध कहानियाँ सुनवाते रहे हैं। पिछले सप्ताह आपने पंडित बदरीनाथ भट्ट "सुदर्शन" की कहानी " परिवर्तन " का पॉडकास्ट अनुराग शर्मा की आवाज़ में सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं डा. अमर कुमार की लघुकथा " अपनों ने लूटा ", जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। लघु कहानी "अपनों ने लूटा" का गद्य (टेक्स्ट) डा० अमर के पन्नों पर पढ़ा जा सकता है। कहानी "अपनों ने लूटा" का कुल प्रसारण समय 3 मिनट 55 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। जन्म मिथिला में, बचपन वैशाली में, प्रारंभिक शिक्षा कोसी क्षेत्र से, माध्यमिक शिक्षा एवँ जीवन से मुठभेड़ का प्रारंभ बैसवारा (रायबरेली) से, चिकित्सा स्नातक कानपुर मेडिकल कॉलेज