Skip to main content

Posts

६ मई- आज का गाना

गाना:  दिल में तुझे बिठाके, कर लूँगी मैं बंद आँखें चित्रपट:  फकीरा संगीतकार: रवीन्द्र जैन गीतकार: रवीन्द्र जैन स्वर:  रफ़ी, लता दिल में तुझे बिठाके,  कर लूँगी मैं बन्द आँखें पूजा करूँगी तेरी,  हो के रहूँगी तेरी मैं ही मैं देखूँ तुझे पिया और न देखे कोई एक पल भी ये सोच रहे ना किस विधि मिलना होई सबसे तुम्हें बचाके, कर लूँगी मैं बंद आँखें पूजा करूँगी तेरी ... ना कोई बंधन जगत का कोई पहरा ना दीवार कोई न जाने दो दीवाने जी भर कर ले प्यार कदमों में तेरे आके, कर लूँगी मैं बंद आँखें पूजा करूँगी तेरी ... तेरा ही मुख देख के पिया रात को मैं सो जाऊं भोर भई जब आँख खुले तो  तेरे ही दरशन पाऊं तुझको गले लगाके,  कर लूँगी मैं बंद आँखें पूजा करूँगी तेरी ...

दिग दिग दिगंत - नया ओरिजिनल

Manoj Agarwal प्लेबैक ओरिजिनलस् एक कोशिश है दुनिया भर में सक्रिय उभरते हुए गायक/संगीतकार और गीतकारों की कला को इस मंच के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने की. इसी कड़ी में हम आज लाये हैं दो नए उभरते हुए फनकार, और उनके समागम से बना एक सूफी रौक् गीत. ये युवा कलाकार हैं गीतकार राज सिल्स्वल (कांस निवासी) और संगीतकार गायक मनोज अग्रवाल, तो दोस्तों आनंद लें इस नए ओरिजिनल गीत का, और हमें बताएं की इन प्रतिभाशाली फनकारों का प्रयास आपको कैसा लगा गीत के बोल - दिग दिग दिगंत  तू भी अनंत, में भी अनंत  चल छोड़ घोंसला, कर जमा होंसला  ये जीवन है, बस एक बुदबुदा  फड पंख हिला और कूद लगा   थोडा जोश में आ, ज़ज्बात जगा  पींग बड़ा आकाश में जा  ले ले आनंद, दे दे आनंद दिग दिग दिगंत दिग दिग दिगंत    तारा टूटा, सारा टूटा  जो हारा , हारा टूटा  क्यों हार मना, दिल जोर लगा  सोतान का सगा है कोन यहाँ  तेरे रंग में रंगा है कौन यहाँ  तू खुद का खुदा है, और खुद में खुदा है  ढोंगी है संत झूठे महंत  दिग दिग दिगंत दिग दिग दिगंत   

५ मई- आज का गाना

गाना:  जा रे, जा रे उड़ जा रे पंछी, बहारों के देस जा रे चित्रपट:  माया संगीतकार: सलिल चोधरी गीतकार: मजरूह सुलतान पुरी स्वर:  लता जा रे, जा रे उड़ जा रे पंछी बहारों के देस जा रे यहाँ क्या है मेरे प्यारे क्यूँ उजड़ गई बगिया मेरे मन की जा रे ... ना डाली रही ना कली अजब ग़म की आँधी चली उड़ी दुख की धूल राहों में जा रे ... मैं वीणा उठा ना सकी तेरे संग गा ना सकी ढले मेरे गीत आहों में जा रे ...