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हिन्दी फिल्मी गीतों में रवीद्र संगीत - एक शोध

स्वरगोष्ठी – ६७ में आज रवीन्द्र-सार्द्धशती वर्ष में विशेष ‘पुरानो शेइ दिनेर कथा...’ ज हाँ एक ओर फ़िल्म-संगीत का अपना अलग अस्तित्व है, वहीं दूसरी ओर फ़िल्म-संगीत अन्य कई तरह के संगीत पर भी आधारित रही है। शास्त्रीय, लोक और पाश्चात्य संगीत का प्रभाव फ़िल्म-संगीत पर हमेशा रहा है और आज भी है। उधर बंगाल की संस्कृति में रवीन्द्र संगीत एक मुख्य धारा है, जिसके बिना बांग्ला संगीत, नृत्य और साहित्य अधूरा है। समय-समय पर हिन्दी सिने-संगीत-जगत के कलाकारों ने रवीन्द्र-संगीत को भी फ़िल्मी गीतों का आधार बनाया है। इस वर्ष पूरे देश मेँ रवीन्द्रनाथ ठाकुर की १५०वीं जयन्ती मनायी जा रही है। इस उपलक्ष्य मेँ हम भी उन्हें श्रद्धापूर्वक स्मरण करते हैं। ‘स्व रगोष्ठी’ के सभी संगीत रसिकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार! इस स्तम्भ के वाहक कृष्णमोहन जी की पारिवारिक व्यस्तता के कारण आज का यह अंक मैं सुजॉय चटर्जी प्रस्तुत कर रहा हूँ। कविगुरु रवीन्द्रनाथ ठाकुर के लिखे गीतों का, जिन्हें हम "रवीन्द्र-संगीत" के नाम से जानते हैं, बंगाल के साहित्य, कला और संगीत पर ज

२२ अप्रैल- आज का गाना

गाना:  मत मारो शाम पिचकारी चित्रपट:  दुर्गेश नन्दिनी संगीतकार: हेमंत कुमार गीतकार: राजिंदर कृष्ण स्वर:  लता मत मारो शाम पिचकारी मोरी भीगी चुनरिया सारी रे... नाजुक तन मोरा रंग न डारो शामा अंग-अंग मोर फड़के रंग पड़े जो मोरे गोरे बदन पर रूप की ज्वाला भड़के कित जाऊँ मैं लाज की मारी रे मत मारो शाम... काह करूँ कान्हा, रूप है बैरी मेरा रंग पड़े छिल जाये देखे यह जग मोहे, तिरछी नजरिया से मोरा जिया घबराये कित जाऊँ मैं लाज की मारी रे मत मारो शाम...

२१ अप्रैल- आज का गाना

गाना:  कभी न कभी कहीं न कहीं कोई न कोई तो आयेगा चित्रपट:  शराबी संगीतकार: मदन मोहन गीतकार: राजिंदर कृष्ण स्वर:  रफ़ी कभी न कभी कहीं न कहीं कोई न कोई तो आयेगा अपना मुझे बनायेगा दिल में मुझे बसायेगा कब से तन्हा ढूँढ राहा हूँ दुनियाँ के वीराने में खाली जाम लिये बैठा हूँ कब से इस मैखाने में कोई तो होगा मेरा साक़ी कोई तो प्यास बुझायेगा कभी न कभी ... किसी ने मेरा दिल न देखा न दिल का पैग़ाम सुना मुझको बस आवारा समझा जिस ने मेरा नाम सुना अब तक तो सब ने ठुकराया कोई तो पास बिठायेगा कभी न कभी ... कभी तो देगा सन्नाटे में प्यार भरी आवाज़ कोई कौन ये जाने कब मिल जाये रस्ते में हम्राज़ कोई मेरे दिल का दर्द समझ कर दो आँसु तो बहायेगा कभी न कभी ...