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२६ मार्च- आज का गाना

गाना: ज़िक्र होता है जब क़यामत का  चित्रपट: माय लव संगीतकार: दान सिंह गीतकार: आनन्द बक्शी स्वर: मुकेश  ज़िक्र होता है जब क़यामत का तेरे जलवों की बात होती है तू जो चाहे तो दिन निकलता है तू जो चाहे तो रात होती है ज़िक्र होता है जब ... तुझको देखा है मेरी नज़रों ने तेरी तारीफ़ हो मगर कैसे के बने ये नज़र ज़ुबाँ कैसे के बने ये ज़ुबाँ नज़र कैसे ना ज़ुबाँ को दिखाई देता है ना निग़ाहों से बात होती है ज़िक्र होता है जब ... तू चली आए मुस्कुराती हुई तो बिखर जाएं हर तरफ़ कलियाँ तू चली जाए उठ के पहलू से तो उजड़ जाएं फूलों की गलियाँ जिस तरफ़ होती है नज़र तेरी उस तरफ़ क़ायनात होती है ज़िक्र होता है जब ... तू निग़ाहों से ना पिलाए तो अश्क़ भी पीने वाले पीते हैं वैसे जीने को तो तेरे बिन भी इस ज़माने में लोग जीते हैं ज़िन्दगी तो उसी को कहते हैं जो गुज़र तेरे साथ होती है ज़िक्र होता है जब ...

फिल्म और सुगम संगीत के रंग में रँगी चैती

स्वरगोष्ठी – ६३ में आज ‘यही ठइयाँ मोतिया हेरा गइलीं रामा...’ पिछले अंक में आपने उपशास्त्रीय संगीत के गायक-वादकों के माध्यम से चैती गीतों का आनन्द प्राप्त किया था। आज हम चैती गीतों के, ग्रामोफोन रिकार्ड, फिल्म और सुगम संगीत के अन्य माध्यमों में किये गए प्रयोग पर चर्चा करेंगे। शा स्त्रीय, उपशास्त्रीय, लोक और फिल्म संगीत की चर्चाओं पर केन्द्रित हमारी-आपकी इस अन्तरंग साप्ताहिक गोष्ठी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आपका स्वागत करता हूँ। आप सब पाठको/श्रोताओं को शुक्रवार से आरम्भ हुए भारतीय नववर्ष के उपलक्ष्य में हमारी ओर से हार्दिक बधाई। अपने पिछले अंक से हमने चैत्र मास में गायी जाने वाली लोक संगीत की शैली ‘चैती’ पर चर्चा आरम्भ की थी। यूँ तो चैती लोक संगीत की शैली है, किन्तु ठुमरी अंग में ढल कर यह और भी रसपूर्ण हो जाती है। पिछले अंक में हमने आपको शास्त्रीय और उपशास्त्रीय संगीत के कलाकारों से कुछ चैती गीतों का रसास्वादन कराया था। आज हम आपसे पुराने ग्रामोफोन रिकार्ड और फिल्मों में चैती के प्रयोग पर चर्चा करेंगे। भारत में ग्रामोफोन रिकार्ड के निर्माण का आरम्भ १९०२ से हुआ था। पहले ग

२५ मार्च- आज का गाना

गाना: आप से प्यार हुआ जाता है... चित्रपट: शमा संगीतकार: गुलाम मोहम्मद गीतकार: कैफी आज़मी स्वर: सुरैया  आप से प्यार हुआ जाता है खेल दुश्वार हुआ जाता है। दिल जो हर क़ैद से घबराता था, घबराता था ख़ुद ही गिरफ़्तार हुआ जाता है। तुमने क्यों प्यार से देखा मुझको - २ दर्द बेज़ार हुआ जाता है। इस तमन्ना में कि तुम दोगे सज़ा, तुम दोगे सज़ा दिल गुनाहग़ार हुआ जाता है।