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१६ जनवरी- आज का गाना

गाना:  छुप्पा छुप्पी, ओ छुप्पी, आगड़ बागड़ जाई रे चित्रपट: सवेरा संगीतकार: शैलेन्द्र गीतकार:  शैलेश गायक,गायिका: मन्ना डे, लता मंगेशकर लता : छुप्पा छुप्पी, ओ छुप्पी, आगड़ बागड़ जाई रे चूहे मामा, ओ मामा, भाग, बिल्ली आई रे कोरस : छुप्पा छुप्पी, ओ छुप्पी, आगड़ बागड़ जाई रे चूहे मामा, ओ मामा, भाग, बिल्ली आई रे मन्ना : बिल्ली बोली म्याँव काहे घबराओ मैं तो चली काशी गले मिल जाओ लता : ओ छुप्पा छुप्पी ... कोरस : लल्ललल्ल लल्लल्ला ... मन्ना : बम बम बम बम बमबम बम ... म्याँव ... लता : मत हम को बना अरी मौसी तेरे दिल में ज़रूर है काला कोरस : मत हम को बना अरी मौसी तेरे दिल में ज़रूर है काला लता : किसी और को दिखला जाके ये जोग ये कंठी माला कोरस : किसी और को दिखला जाके ये जोग ये कंठी माला मन्ना : राम का नाम लो आँख से काम लो राम का नाम लो आंख से काम लो कल जो हुआ था भूल जाओ भूल जाओ लता : छुप्पा छुप्पी ... मन्ना : मैं तो राम की जोगन अपना परलोक सुधारन जाऊँ आख़िर तो बुढापा ठहरा अब लौट के आऊँ न आऊँ लता : दांत भी तेज़ तेरे पंजे भी तेज़ हैं दांत भी तेज़ तेरे पंजे भी ते

‘बन्ने के नैना जादू बान, मैं वारी जाऊँ...’ : वर-बधू का श्रृंगारपूर्ण चित्रण

मानव जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण संस्कार, विवाह होता है। गृहस्थ जीवन की ओर बढ़ने वाला यह पहला कदम है। मुख्य वैवाहिक समारोह से पूर्व ही अनेक ऐसे प्रसंग होते हैं, जिनके सम्पादन के समय से लोकगीतों का गायन आरम्भ हो जाता है। घर, परिवार और अडोस-पड़ोस की महिलाएँ एकत्र होकर उस अवसर विशेष के गीत गाती हैं। ऐसे गीत वर और कन्या, दोनों पक्षों में गाने की परम्परा है। बन्ना और बन्नी इसी अवसर के श्रृंगार प्रधान गीत है। SWARGOSHTHI -52 – Sanskar Geet – 4 स्वरगोष्ठी - 52 - संस्कार गीतों में अन्तरंग सम्बन्धों की सोंधी सुगन्ध स्व रगोष्ठी के एक नये अंक के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र आज की इस सांगीतिक बैठक में एक बार पुनः उपस्थित हूँ। आपको स्मरण ही होगा कि इस स्तम्भ में हम शास्त्रीय, उपशास्त्रीय, सुगम और लोक-संगीत पर चर्चा करते हैं। गत नवम्बर मास से हमने लोकगीतों के अन्तर्गत आने वाले संस्कार गीतों पर चर्चा आरम्भ की थी। इसी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए आज हम संक्षेप में यज्ञोपवीत अर्थात जनेऊ संस्कार पर और फिर विवाह संस्कार के गीतों पर चर्चा करेंगे। मानव जीवन में विवाह संस्कार एक पवित्र समारोह के रूप में आयोजि

१५ जनवरी- आज का गाना

गाना:  अपनी कहानी छोड़ जा चित्रपट: दो बीघा जमीन संगीतकार: सलिल चौधरी गीतकार:   शैलेन्द्र गायक, गायिका: मन्ना डे, लता मंगेशकर मन्ना डे : भाई रे गंगा और जमुना की गहरी है धार आगे या पीछे सबको जाना है पार धरती कहे पुकार के, बीज बिछा ले प्यार के मौसम बीता जाय, मौसम बीता जाय को \: मौसम बीता जाय, मौसम बीता जाय -२ मन्ना डे : अपनी कहानी छोड़ जा, कुछ तो निशानी छोड़ जा कौन कहे इस ओर तू फिर आये न आये कोरस:मौसम बीता जाय, मौसम बीता जाय -२ लता: तेरी राह में कलियों ने नैन बिछाये डाली-डाली कोयल काली तेरे गीत गाये तेरे गीत गाये अपनी कहानी छोड़ जा, कुछ तो निशानी छोड़ जा कौन कहे इस ओर तू फिर आये न आये कोरस:मौसम बीता जाय, मौसम बीता जाय -२ मन्ना डे : हो भाई रे नीला अम्बर मुस्काये, हर साँस तराने गाये हाय तेरा दिल क्यों मुरझाये कोरस: हो हो हो हो हो मन की बन्शी पे तू भी कोई धुन बजा ले भाई तू भी मुस्कुरा ले मन्ना डे , लता: अपनी कहानी छोड़ जा, कुछ तो निशानी छोड़ जा कौन कहे इस ओर तू फिर आये न आये मन्ना डे : हो भाई रे, भाई रे, भाई रे, ओ ओ कोरस : मौसम बीता

१४ जनवरी- आज का गाना

गाना:  रात भर का है मेहमां अँधेरा चित्रपट: सोने की चिड़िया संगीतकार: ओ. पी. नय्यर गीतकार:  साहिर गायक, गायिका: रफ़ी, आशा भोंसले मौत कभी भी मिल सकती है लेकिन जीवन कल न मिलेगा मरने वाले सोच समझ ले फिर तुझको ये पल न मिलेगा ( रात भर का है मेहमां अँधेरा किसके रोके रुका है सवेरा ) -२ रात जितनी भी संगीन होगी सुबह उतनी ही रंगीन होगी ग़म न कर गर है बादल घनेरा किसके रोके रुका है ... लब पे शिकवा न ला अश्क़ पी ले जिस तरह भी हो कुछ देर जी ले अब उखड़ने को है ग़म का डेरा किसके रोके रुका है ... यूँ ही दुनिया में आ कर न जाना सिर्फ़ आँसू बहाकर न जाना मुसुराहट पे भी हक़ है तेरा किसके रोके रुका है ... ( आ कोई मिल के तदबीर सोचें सुख के सपनों की ताबीर सोचें ) -२ जो तेरा है वही ग़म है मेरा किसके रोके रुका है ...

गिरिजेश राव की कहानी "भूख"

'बोलती कहानियाँ' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने प्रसिद्ध कथाकार हरिशंकर परसाई की " बेचारा भला आदमी " का पॉडकास्ट अनुराग शर्मा की आवाज़ में सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं गिरिजेश राव की कहानी " भूख ", जिसको स्वर दिया है सलिल वर्मा ने। कहानी "भूख" का कुल प्रसारण समय 10 मिनट 56 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। इस कथा का टेक्स्ट एक आलसी का चिठ्ठा पर उपलब्ध है।  यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिकों, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया  हमें boltikahaniyan.rpi@gmail.com पर संपर्क करें। "पास बैठो कि मेरी बकबक में नायाब बातें होती हैं। तफसील पूछोगे तो कह दूँगा,मुझे कुछ नहीं पता " ~ गिरिजेश राव      हर शनिवार को आवाज़ पर सुनें एक नयी कहानी "उसे पता था कि घर पहुँचने पर रात नौ बजे तक एक कप चाय और दो बिस्कुटों के अलाव

१३ जनवरी- आज का गाना

गाना:  छाप तिलक सब चित्रपट: मैं तुलसी तेरे आँगन की संगीतकार: लक्ष्मीकांत प्यारेलाल गीतकार:  आनंद बक्षी गायिका: आशा भोंसले, लता लता: अपनी छब बनायके जो मैं पी के पास गयी आशा: अपनी छब बनायके जो मैं पी के पास गयी दोनों: जब छब देखी पीहू की सो मैं अपनी भूल गयी ओ, (छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलायके) -२ छाप तिलक लता: सब छीनी रे मोसे नैना नैना, मोसे नैना नैना रे, मोसे नैना मिलायके नैना मिलायके दोनों: छाप तिलक सब छीनी रे मोसे आशा: नैना, (नैना मिलायके) -२ दोनों: छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलायके लता: ए री सखी (मैं तोसे कहूँ) -२ हाय तोसे कहूँ मैं जो गयी थी (पनिया भरन को) -३ छीन झपट मोरी मटकी पटकी छीन झपट मोरी झपट मोरी मटकी पटकी नैना मिलायके दोनों: छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलायके आशा: (बल-बल जाऊँ मैं) -२ (तोरे रंग रजेवा) -२ (बल-बल जाऊँ मैं) -२ (तोरे रंग रजेवा) -३ (अपनी-सी) -३ रंग लीनी रे मोसे नैना मिलायके दोनों: छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलायके आशा: ए री सखी (मैं तोसे कहूँ) -२ हाय तोसे कहूँ लता: (हरी हरी चूड़ियाँ) -२

१२ जनवरी- आज का गाना

गाना:  साथी तेरे नाम चित्रपट: उस्तादी उस्ताद से संगीतकार: राम लक्ष्मण गीतकार:  दिलीप ताहिर गायिका: आशा भोसले, उषा मंगेशकर साथी तेरे नाम, एक दिन, जीवन कर जायेंगे, जीवन कर जायेंगे तू है मेरा खुदा तू ना करना दगा तुम बिन मर जायेंगे, तुम बिन मर जायेंगे खुशबुओं की तरह, तू महकती रहे बुलबुलों की तरह, तू चहकती रहे दिल के हर तार से आ रही है सदा तू सलामत रहे, बस यही है दुआ तू है मेरा खुदा तू ना करना दगा तुम बिन मर जायेंगे, तुम बिन मर जायेंगे