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ओल्ड इस गोल्ड - शनिवार विशेष - पियानो स्पर्श से महके फ़िल्मी गीतों सुनने के बाद आज मिलिए उभरते हुए पियानो वादक मास्टर बिक्रम मित्र से

नमस्कार! 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में शनिवार की विशेष प्रस्तुति के साथ हम फिर हाज़िर हैं। पिछले दिनों आपने इस स्तंभ में पियानो पर केन्द्रित लघु शृंखला 'पियानो साज़ पर फ़िल्मी परवाज़' का आनंद लिया, जिसमें हमनें आपको न केवल पियानों साज़ के प्रयोग वाले १० लाजवाब गीत सुनवाये, बल्कि इस साज़ से जुड़ी बहुत सारी बातें भी बताई। और साथ ही कुछ पियानो वादकों का भी ज़िक्र किया। युवा पियानो वादकों की अगर हम बात करें तो कोलकाता निवासी, १७ वर्षीय मास्टर बिक्रम मित्र का नाम इस साज़ में रुचि रखने वाले बहुत से लोगों ने सुना होगा। स्वयं पंडित हरिप्रसाद चौरसिआ और उस्ताद ज़ाकिर हुसैन जैसे महारथियों से प्रोत्साहन पाने वाले बिक्रम मित्र नें अपना संगीत सफ़र ७ वर्ष की आयु में शुरु किया, और एक सीन्थेसाइज़र के ज़रिए सीखना शुरु किया प्रसिद्ध वेस्टर्ण क्लासिकल टीचर श्री दीपांकर मिश्र से। उन्हीं की निगरानी में बिक्रम ने प्राचीन कला केन्द्र चण्डीगढ़ से संगीत में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की। अब बिक्रम 'इंद्रधनु स्कूल ऒफ़ म्युज़िक' के छात्र हैं जहाँ पर उनके गुरु हैं प्रसिद्ध हारमोनियम एक्स्पर्ट पंडित

सुनो कहानी: नीरज बसलियाल की फेरी वाला

नीरज बसलियाल की कहानी फेरी वाला 'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में जयशंकर प्रसाद की कहानी ' विजया ' का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं नीरज बसलियाल की कहानी " फेरी वाला ", जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। कहानी का कुल प्रसारण समय है: 7 मिनट 6 सेकंड। इस कथा का टेक्स्ट काँव काँव पर उपलब्ध है। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें। पौड़ी की सर्दियाँ बहुत खूबसूरत होती हैं, और उससे भी ज्यादा खूबसूरत उस पहाड़ी कसबे की ओंस से भीगी सड़कें। ~ नीरज बसलियाल हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए एक नयी कहानी पता नहीं कितने सालों से, शायद जब से पैदा हुआ यही काम किया, ख्वाब बेचा। ( नीरज बसलियाल की "फेरी वाला" से एक अंश ) नीचे के प्लेयर से सुनें. (प्लेयर पर एक बार

धडकन जरा रुक गयी है....सुरेश वाडकर के गाये एल पी के इस गीत को सुनकर एक पल को धडकन थम ही जाती है

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 600/2010/300 न मस्कार! पिछली नौ कड़ियों से आप इस महफ़िल में सुनते आ रहे हैं फ़िल्म जगत के सुनहरे दौर के कुछ ऐसे नग़में जिनमें पियानो मुख्य साज़ के रूप में प्रयोग हुआ है। 'पियानो साज़ पर फ़िल्मी परवाज़' शृंखला की आज दसवीं और अंतिम कड़ी में आज हम चर्चा करेंगे कुछ भारतीय पियानिस्ट्स की। पहला नाम हम लेना चाहेंगे स्टीफ़ेन देवासी का। कल ही इनका जन्मदिन था। २३ फ़रवरी १९८१ को प्लक्कड, केरल में जन्में स्टीफ़ेन ने १० वर्ष की आयु से पियानो सीखना शुरु किया लेज़ली पीटर से। उसके बाद त्रिसूर में चेतना म्युज़िक अकादमी में फ़्र. थॊमस ने उनका पियानो से परिचय करवाया, जहाँ पर उन्होंने त्रिनिती कॊलेज ऒफ़ म्युज़िक लंदन द्वारा आयोजित आठवी ग्रेड की परीक्षा उत्तीर्ण की। १८ वर्ष की आयु में उन्होंने जॊनी सागरिका की ऐल्बम 'इश्टमन्नु' में कुल ६ गीतों का ऒर्केस्ट्रेशन किया। उसके बाद वो गायक हरिहरण के साथ यूरोप की टूर पर गये। वायलिन मेस्ट्रो एल. सुब्रह्मण्यम के साथ उन्होंने लक्ष्मीनारायण ग्लोबल म्युज़िक फ़ेस्टिवल में पर्फ़ॊर्म किया। १९ वर्ष की उम्र में स्टीफ़ेन ने एक म्युज़िक