ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 543/2010/243 'हिं दी सिनेमा के लौह स्तंभ' - 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की इस लघु शृंखला के तीसरे खण्ड में इन दिनों आप सुन रहे हैं बिमल रॊय निर्देशित फ़िल्मों के गीत और बिमल दा के फ़िल्मी यात्रा का विवरण। कल बात आकर रुकी थी 'परिणीता' में। १९५४ से अब बात को आगे बढ़ाते हैं। इस साल बिमल दा के निर्देशन में तीन फ़िल्में आईं - 'नौकरी', 'बिराज बहू' और 'बाप-बेटी'। 'नौकरी' 'दो बीघा ज़मीन' का ही शहरीकरण था। फ़िल्म में किशोर कुमार को नायक बनाया गया था, लेकिन यह फ़िल्म 'दो बीघा ज़मीन' जैसा कमाल नहीं दिखा सकी, हालाँकि "छोटा सा घर होगा बादलों की छाँव में" गीत ख़ूब लोकप्रिय हुआ। 'बिराज बहू' भी शरतचन्द्र की इसी नाम की उपन्यास पर बनी थी जिसका निर्माण किया था हितेन चौधरी ने। 'नौकरी' और 'बिराज बहू' में सलिल दा का संगीत था, लेकिन 'बाप-बेटी' में संगीत दिया रोशन ने। फिर आया साल १९५५ और एक बार फिर शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय की लोकप्रिय उपन्यास 'देवदास' पर बिमल रॊय ने फ़िल्म बनाई