ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 317/2010/17 स्व रांजली' की आज की कड़ी में हम जन्मदिन की मुबारक़बाद दे रहे हैं गीतकार, शायर और पटकथा व संवाद लेखक जावेद अख्तर साहब को। लेकिन अजीब बात यह कि जिन दिनों में जावेद साहब पटकथा और संवाद लिखा करते थे, उन दिनों मे वो गानें नहीं लिखते थे, और जब उन्होने बतौर गीतकर अपना सिक्का जमाया, तो पटकथा लिखना लगभग बंद सा कर दिया। जब यही सवाल उनसे पूछा गया तो उनका जवाब था - " यह सही है कि जब मैं फ़िल्में लिखता था, उस वक़्त मैं गानें नहीं लिखता था। लेकिन हाल ही में मैंने अपने बेटे फ़रहान के लिए फ़िल्म 'लक्ष्य' का स्क्रिप्ट लिखा है, एक और भी लिखा है, सोच रहा हूँ कि किसे दूँ (हँसते हुए)! कुछ फ़िल्में हैं जिनमें मैंने स्क्रिप्ट और गानें, दोनों लिखे हैं, जैसे कि 'सागर', जैसे कि 'मिस्टर इंडिया', जैसे कि 'अर्जुन'। मुझे स्क्रिप्ट लिखते हुए थकान सी महसूस हो रही थी, कुछ ख़ास अच्छा नहीं लग रहा था। और अब गानें लिखने में ज़्यादा मज़ा आ रहा है, और दिल से लिख रहा हूँ। इसलिए सोचा कि जब तक फ़िल्मे लिखने का जज़्बा फिर से ना जागे, तब तक गीत ही लिख