ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 293 'ओ ल्ड इज़ गोल्ड' पर जारी है पराग सांकला जी के चुने हुए गीतों को सुनवाने का सिलसिला। गीता दत्त और राजकुमारी के बाद आज जिस गायक की एकल आवाज़ इस महफ़िल में गूँज रही है, उस आवाज़ को हम सब जानते हैं हेमंत कुमर के नाम से। हेमंत दा की एकल आवाज़ में इस महफ़िल में आप ने कई गानें सुनें हैं जैसे कि कोहरा, बीस साल बाद, सोलवाँ साल, काबुलीवाला, हरीशचन्द्र, अंजाम, और जाल फ़िल्मों के गानें। आज पराग जी ने हेमंत दा की आवाज़ में जिस गीत को चुना है, वह है १९५५ की फ़िल्म 'लगन' का - "बहाए चाँद ने आँसू ज़माना चांदनी समझा, किसी की दिल से हूक उठी तो कोई रागिनी समझा"। इस गीत के बोल जितने सुंदर है, जिसका श्रेय जाता है गीतकार राजेन्द्र कृष्ण को, उतना ही सुंदर है इसकी धुन। हेमन्त दा ही इस फ़िल्म के संगीतकार भी हैं। हेमन्त कुमार और राजेन्द्र कृष्ण ने एक साथ बहुत सारी फ़िल्मों में काम किया है और हर बार इन दोनों के संगम से उत्पन्न हुए हैं बेमिसाल नग़में। आज का प्रस्तुत गीत भी उन्ही में से एक है। चाँद और चांदनी पर असंख्य गीत और कविताएँ लिखी जा चुकी हैं और आज भी ल