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रूप कुमार राठोड और साधना सरगम के युगल स्वरों का है ये -"वादा"

बात एक एल्बम की (10) फीचर्ड एल्बम ऑफ़ दा मंथ - वादा फीचर्ड आर्टिस्ट ऑफ़ दा मंथ - उस्ताद अमजद अली खान, गुलज़ार, रूप कुमार राठोड, साधना सरगम. बात एक एल्बम की में इस माह हम चर्चा कर रहे हैं चार बड़े फनकारों से सजी एल्बम "वादा' के बारे में. गीतकार गुलज़ार और संगीतकार उस्ताद अमजद अली खान साहब के बारे में हम बात कर चुके हैं, आज जिक्र करते हैं इस एल्बम के दो गायक कलाकारों का. इनमें से एक हैं शास्त्रीय संगीत के अहम् स्तम्भ माने जाने वाले पंडित चतुर्भुज राठोड के सुपुत्र और श्रवण राठोड (नदीम श्रवण वाले) और विनोद राठोड के भाई, जी हाँ हम बात कर रहे हैं गायक और संगीतकार रूप कुमार राठोड की. अपने पिता (जिन्हें इंडस्ट्री में कल्याणजी आनंदजी और गायक अनवर के गुरु भी कहा जाता है) के पदचिन्हों पर चलते हुए रूप ने तबला वादन सीखने से अपना संगीत सफ़र शुरू किया. पंकज उधास और अनूप जलोटा के साथ उन्होंने संगत की. श्याम बेनेगल की "भारत एक खोज" में भी उन्होंने तबला वादन किया. १९८४ में अपने इस जूनून को एक तरफ रख उन्होंने गायन की दुनिया में खुद को परखने का अहम् निर्णय लिया ये एक बड़ा "यु-टर

जलते हैं जिसके लिए तेरी आँखों के दीये....तलत साहब लाये हैं गीत वही हम सबके लिए

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 125 अ गर मैं आप से यह पूछूँ कि १९५९ की फ़िल्म 'सुजाता' और इस दशक की फ़िल्म 'बाग़बान' में क्या समानता है तो शायद आप चौंक उठें। इन दोनो फ़िल्मों में एक एक गीत ऐसा है जो फ़िल्म के परदे पर टेलीफ़ोन पर गाये गये हैं। फ़िल्म 'बाग़बान' में अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी पर फ़िल्माया गया "मैं यहाँ तू वहाँ ज़िंदगी है कहाँ" गीत तो आप ने हाल में इस फ़िल्म में देखा होगा। लेकिन आज से ५० साल पहले बनी फ़िल्म 'सुजाता' में भी कुछ ऐसा ही एक गीत था जिसे परदे पर सुनिल दत्त साहब ने फ़िल्म की अभिनेत्री नूतन को टेलीफ़ोन पर सुनाया था - "जलते हैं जिसके लिए तेरी आँखों के दीये, ढ़ूंढ़ लाया हूँ वही गीत मैं तेरे लिए"। उस ज़माने में टेलीफ़ोन का इतना चलन नहीं था, और ना ही आज की तरह हर कोई इसे अफ़ोर्ड कर सकता था। फ़ोन कौल की दरें भी बहुत ज़्यादा हुआ करती थीं। ऐसे में अगर फ़िल्म का नायक अपनी नायिका को फ़ोन पर एक पूरा का पूरा गाना सुनवाना चाहे, तो हमें यह समझ लेना चाहिए कि मामला ज़रूर गम्भीर है। टेलीफ़ोन पर गाये गीतों की बात जब चलती है तब यही गीत

नव पॉडकास्ट कवि सम्मेलन में 20 काव्य-रश्मियों की प्रभा

सुनिए ऑनलाइन कवि सम्मेलन का वार्षिक अंक रश्मि प्रभा पूरे भारत में गरमी अपना तांडव कर रही है। हर तरफ बस एक ही पुकार है कि अल्लाह मेघ दे, पानी दे। कभी-कभी हम जैसे भावुक हृदयवालों का मन होता है कि कहीं से खुदा को खोज निकालें और उससे विनती करें कि कृपया पानी दे दें। खैर फिलहाल हम तो आपके लिए एक ऐसी बारिश लाये हैं जिसमें आप अनुभूतियों की तरह-तरह की बूँदों से भीगेंगे। जी हाँ, आप सही समझे, गर्मी की मार से अल्पकालिक ही सही, एक राहत देने के लिए, हम लेकर हाज़िर हैं जून 2009 का पॉडकास्ट कवि सम्मेलन लेकर। इस बार के इस कवि सम्मेलन में उचित मेघ का उचित समय पर बरसने का आह्वान किया है रश्मि प्रभा ने और इस बरसात की निरंतरता का प्रयोजन किया है खुश्बू ने। खुशी की बात है कि रश्मि प्रभा के प्रयास से इस कवि सम्मेलन में हर माह नये कवि जुड़ते जा रहे हैं। इस बार भी 9 प्रतिभागी पहली पार इस ऑनलाइन कवि सम्मेलन का हिस्सा बन रहे हैं। पॉडकास्ट कवि सम्मेलन का यह 12वाँ अंक है। मतलब हिन्द-युग्म के इस आयोजन ने अपना एक वर्ष पूरा कर लिया है। इसमें हमारे श्रोताओं के प्रोत्साहन का बहुत योगदान रहा है। बगैर लम्बी भूमिका के आप