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घर आजा घिर आयी बदरा सांवरिया...पंचम दा की ७० वीं जयंती पर ओल्ड इस गोल्ड का विशेष अंक

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 124 "१९५७ की बात मैं कर रहा हूँ, जब मैं पहली बार इस फ़िल्मी दुनिया में बतौर संगीतकार क़दम रखा। महमूद साहब थे मेरे जिगरी दोस्त, उन्होने मुझे एक पिक्चर दिया जिसका नाम था 'छोटे नवाब'। वह मेरी पहली पिक्चर थी। तो हम लोग जिस तरीके से सिचुयशन डिसकस करते हैं, वो हम लोगों ने किया, फिर एक गाना बनाया, दूसरा गाना बनाया, फिर तीसरा गाना बनाया, लेकिन मुझे बहुत एक तर्ज़ पसंद आ रही थी, जो उन्होने भी पसंद किया था, महमूद साहब ने, उस गाने की रिकॉर्डिंग के लिए हम तैयार हो गये, और उसकी रिकॉर्डिंग की डेट भी नज़दीक आ गयी। तो उन्होने (महमूद) कहा कि 'तीन चार दिन के अंदर गाना कर के दीजिये।' मैं उनको डरते डरते कहा कि 'देखिये, आप तो इस वक़्त बहुत बड़े नामी प्रोड्युसर नहीं हैं, लेकिन फिर भी मैं चाहूँगा कि यह गाना बहुत बढ़िया एक सिंगर गाये तो अच्छा है।' उन्होने पूछा, 'कौन?' तो मेरे मन में ज़ाहिर है यही आया कि 'लता दीदी अगर गायें तो अच्छा रहेगा।' लेकिन लता दी एक महीने तक तो बुकिंग में रहती थीं, हर रोज़ दो या तीन गाना गाती थीं। तो मैं डरते डरते एक द

सुनो कहानी: पहेली - उपेन्द्रनाथ अश्क

उपेन्द्रनाथ अश्क की "पहेली" 'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में मुंशी प्रेमचन्द की कहानी "इस्तीफा" का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार उपेन्द्रनाथ अश्क की कहानी "पहेली" , जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। कहानी का कुल प्रसारण समय 24 मिनट 09 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। उपेन्द्रनाथ 'अश्क' ने मुंशी प्रेमचंद की सलाह पर हिन्दी में लिखना आरम्भ किया। १९३३ में प्रकाशित उनके दुसरे कहानी संग्रह 'औरत की फितरत' की भूमिका मुंशी प्रेमचन्द ने ही लिखी थी। अश्क जी को 1972 में 'सोवियत लैन्ड नेहरू पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। हर शनिवार को आवा

वो चाँद मुस्कुराया सितारे शरमाये....मजरूह साहब ने लिखा था इस खूबसूरत युगल गीत को

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 123 १९५६ में फ़िल्म 'चोरी चोरी' में लता मंगेशकर और मन्ना डे का गाया एक बड़ा ही मशहूर 'रोमांटिक' युगल गीत आया था "ये रात भीगी भीगी ये मस्त फ़िजायें", जिसने लोकप्रियता की सारी हदें पार कर दी थी और आज एक सदाबहार नग़मा बन कर फ़िल्म संगीत के स्वर्ण युग का प्रतिनिधित्व करने वाले गानों में शामिल हो गया है। शंकर जयकिशन द्वारा स्वरबद्ध यह गीत लता-मन्ना के गाये युगल गीतों में बहुत ऊँचा स्थान रखता है। इस फ़िल्म के बनने के ठीक दो साल बाद, यानी कि १९५८ में एक फ़िल्म आयी थी 'आख़िरी दाव'। फ़िल्म में संगीत था मदन मोहन का। यूँ तो इस फ़िल्म के सभी गीत मोहम्मद रफ़ी और आशा भोंसले ने गाये थे, लेकिन एक युगल गीत लता और मन्ना दा की आवाज़ में भी था। अभी अभी हमने फ़िल्म 'चोरी चोरी' के उस मशहूर गीत का ज़िक्र इसलिए किया क्यूंकि फ़िल्म 'आख़िरी दाव' का यह गीत भी कुछ कुछ उसी अंदाज़ में बनाया गया था। गीत के बोल और संगीत संयोजन में समानता थी, तथा गायक कलाकार एक होने की वजह से इस गीत को सुनते ही उस गीत की याद आ जाती है। आज 'आखिरी दाव' फ