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चलो, एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों

मशहूर पार्श्व गायक महेन्द्र कपूर को अनिता कुमार की श्रद्धाँजलि दोस्तो, जन्म- ९ जनवरी १९३४ मूल- अमृतसर, पंजाब मृत्यु- २७ सितम्बर, २००८ अभी-अभी खबर आयी कि शाम साढ़े सात बजे महेंद्र कपूर सदा के लिए रुखसत हो लिए। सुनते ही दिल धक्क से रह गया। अभी कल ही तो हेमंत दा की बरसी थी और वो बहुत याद आये, और आज महेंद्र कपूर चल दिये। कानों में गूंजती उनकी आवाज के साथ साथ अपने बचपन की यादें भी लौट रही हैं। 1950 के दशक में जब महोम्मद रफ़ी, तलत महमूद, मन्ना डे, हेमंत दा, मुकेश और कालांतर में किशोर दा की तूती बोलती थी ऐसे में भी महेंद्र कपूर साहब ने अपना एक अलग मुकाम बना लिया था। एक ऐसी आवाज जो बरबस अपनी ओर खींच लेती थी। यूं तो उन्होंने उस जमाने के सभी सफ़ल नायकों को अपनी आवाज से नवाजा लेकिन मनोज कुमार भारत कुमार न होते अगर महेंद्र कपूर जी की आवाज ने उनका साथ न दिया होता। महेंद्र कपूर जी का नाम आते ही जहन में 'पूरब और पश्चिम' के गाने गूंजते लगते हैं "है प्रीत की रीत जहां की रीत सदा, मैं गीत वहां के गाता हूँ, भारत का रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ" आज भी इस गीत को सुनते-सुनते कौन भार

स्वर कोकिला लता मंगेशकर के लिये एक अदभुत कविता-तुम स्वर हो,स्वर का स्वर हो

माया गोविंद देश की जानी मानी काव्य हस्ताक्षर हैं.हिन्दी गीत परम्परा को मंच पर स्थापित करने में मायाजी ने करिश्माई रचनाएँ सिरजीं हैं.आवाज़ पर भाई संजय पटेल के माध्यम से हमेशा नई – नई सामग्री मिलती रही है.लता दीदी के जन्मदिन के ठीक एक दिन पहले आवाज़ पर प्रस्तुत है समर्थ कवयित्री माया गोविंद की यह भावपूर्ण रचना. तुम स्वर हो, तुम स्वर का स्वर हो सरल-सहज हो, पर दुष्कर हो। हो प्रभात की सरस "भैरवी' तुम "बिहाग' का निर्झर हो। चरण तुम्हारे "मंद्र सप्तकी' "मध्य सप्तकी' उर तेरा। मस्तक "तार-स्वरों' में झंकृत गौरवान्वित देश मेरा। तुमसे जीवन, जीवन पाए तुम्हीं सत्य-शिव-सुंदर हो। हो प्रभात की... "मेघ मल्हार' केश में बॉंधे भृकुटी ज्यों "केदार' "सारंग'। नयन फागुनी "काफ़ी' डोले अधर "बसंत-बहार' सुसंग। कंठ शारदा की "वीणा' सा सप्त स्वरों का सागर हो। हो प्रभात की... सोलह कला पूर्ण गांधर्वी लगती हो "त्रिताल' जैसी। दोनों कर जैसे "दो ताली' "सम' जैसा है भाल सखी। माथे की बिंदिया "ख़ाली

सच बोलता है मुंह पर, चाहे लगे बुरा सा

दूसरे सत्र के तेरहवें गीत का विश्वव्यापी उदघाटन आज. नए गीतों को प्रस्तुत करने के इस चलन में अब तक ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई कलाकार अपने पहले गीत के ओपन होने से पहले ही एक जाना माना नाम बन जाए कुछ इस कदर कि आवाज़ के स्थायी श्रोताओं को लगातार ये जानने की इच्छा रही कि अपने संगीत और आवाज़ से उन पर जादू करने वाले रफ़ीक शेख का गीत कब आ रहा है. तो दोस्तों आज इंतज़ार खत्म हुआ. आ गए हैं रफ़ीक शेख अपनी पहली प्रवष्टि के साथ आवाज़ के इस महा आयोजन में. साथ में लाये हैं एक नए ग़ज़लकार अजीम नवाज़ राही को, रिकॉर्डिंग आदि में मदद रहा अविनाश जी का जो रफ़ीक जी के मित्र हैं. दोस्तों हमें यकीन है रफ़ीक शेख की जादू भरी आवाज़ में इस खूबसूरत ग़ज़ल का जादू आप पर ऐसा चलेगा कि आप कई हफ्तों, महीनों तक इसे गुनगुनाने पर मजबूर हो जायेंगे. तो मुलाहजा फरमायें युग्म की नयी पेशकश,ये ताज़ा तरीन ग़ज़ल - " सच बोलता है ....." ग़ज़ल को सुनने के लिए नीचे के प्लेयर पर क्लिक करें - After creating a lot of buzz by his rendition of Ahmed Faraz sahab's ghazals (as a musical tribute to the legend) singer/composer Ra