Season 3 of new Music, Song # 07 हिन्द-युग्म हिन्दी का पहला ऐसा ऑनलाइन मंच हैं जहाँ इंटरनेटीय जुगलबंदी से संगीत-निर्माण की शुरूआत हुई। इन दिनों हिन्द-युग्म संगीतबद्ध गीतों के तीसरे संत्र 'आवाज़ महोत्सव 2010' चला रहा है, जिसके अंतर्गत 4 अप्रैल 2010 से प्रत्येक शुक्रवार हम एक नया गीत रीलिज कर रहे हैं। हिन्द-युग्म के आदिसंगीतकार ऋषि एस हर बार कुछ नया करने में विश्वास रखते हैं। आज जो गीत हम रीलिज कर रहे हैं, उसमें ऋषि के संगीत का बिलकुल नया रूप उभरकर आया है। साथ में हैं हिन्द-युग्म से पहली बार जुड रहे गायक रमेश चेल्लामणि। गीत के बोल - तेरी चाहत में जीता है, तेरी चाहत में मरता है, तेरी सोहबत को तरसता है तेरी कुर्बत को तड़पता है, कैसा दीवाना है.... ये दिल यार यार करता है, ये दिल यार यार करता है... लौट के आजा सोहणे सजन, तुझ बिन सूना, ये मन आँगन, साँसों के तार टूटे है, धड़कन की ताल मध्यम है, कहीं देर न हो जाए, ये दिल यार यार करता है, ये दिल यार यार करता है... आँखों से छलका है ग़म, सीने में अटका है दम, सब देखे कर के जतन, होता ही नहीं दर्द कम, इतना भी तो न कर सितम इतना भी न बन बे रहम, क