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राग देसी : SWARGOSHTHI – 292 : RAG DESI

स्वरगोष्ठी - 292 में आज नौशाद के गीतों में राग-दर्शन – 5 : रागदारी संगीत की सुगन्ध बिखेरता दौर “आज गावत मन मेरो झूम के, तेरी तान भगवान...” ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी श्रृंखला – “नौशाद के गीतों में राग-दर्शन” की पाँचवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला में हम भारतीय फिल्म संगीत के शिखर पर विराजमान नौशाद अली के व्यक्तित्व और उनके कृतित्व पर चर्चा कर रहे हैं। श्रृंखला की विभिन्न कड़ियों में हम आपको फिल्म संगीत के माध्यम से रागों की सुगन्ध बिखेरने वाले अप्रतिम संगीतकार नौशाद अली के कुछ राग-आधारित गीत प्रस्तुत कर रहे हैं। इस श्रृंखला का समापन हम आगामी 25 दिसम्बर को नौशाद अली की 98वीं जयन्ती के अवसर पर करेंगे। 25 दिसम्बर, 1919 को सांगीतिक परम्परा से समृद्ध शहर लखनऊ के कन्धारी बाज़ार में एक साधारण परिवार में नौशाद का जन्म हुआ था। नौशाद जब कुछ बड़े हुए तो उनके पिता वाहिद अली घसियारी मण्डी स्थित अपने नए घर में आ गए। यहीं निकट ही मुख्य मार्ग लाटूश रोड (वर्तमान ग

‘आज गावत मन मेरो झूम के...’ : SWARGOSHTHI – 193 : RAG DESI

स्वरगोष्ठी – 193 में आज शास्त्रीय संगीतज्ञों के फिल्मी गीत – 2 : राग देसी पण्डित पलुस्कर और उस्ताद अमीर खाँ ने राग देसी के स्वरों में गाया फिल्म बैजू बावरा का युगल गीत ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी है, हमारी नई लघु श्रृंखला, जिसका शीर्षक है- ‘शास्त्रीय संगीतज्ञों के फिल्मी गीत’। फिल्म संगीत के क्षेत्र में चौथे से लेकर आठवें दशक के बीच शास्त्रीय संगीत के कई विद्वानों और विदुषियों ने अपना योगदान किया है। इस श्रृंखला में हमने कुछ ऐसे ही फिल्मी गीतों का चुनाव किया है, जिन्हें रागदारी संगीत के विशेषज्ञों ने रचा है। इन रचनाओं में राग के स्पष्ट स्वरूप की उपस्थिति मिलती है। श्रृंखला के दूसरे अंक में आज हम आपसे 1953 की फिल्म ‘बैजू बावरा’ के एक गीत- ‘आज गावत मन मेरो...’ पर चर्चा करेंगे। इस श्रेष्ठतम संगीत रचना का सृजन अपने समय की दो दिग्गज सांगीतिक विभूतियों, पण्डित डी.वी. (दत्तात्रेय विष्णु) पलुस्कर और उस्ताद अमीर खाँ द्वारा किया गया था। यह गीत राग देसी अथवा देसी तोड़ी के फिल्मी प्रयोग का अच्छा उदाहरण है। इसके सा