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भारत विश्वविजेता अपना...जब देश की विश्व विजयी टीम को बधाई स्वरुप, स्वर सम्राज्ञी लता मंगेशकर ने गाया एक खास गीत

२ अप्रैल, २०११. घड़ी में रात के ११:३० बजे हैं। इलाका है दिल्ली का पहाड़गंज। सड़क पर जैसे जनसमुद्र डोल रही है। यहाँ के होटलों में ठहरे सैलानी समूह बना बाहर निकल पड़े हैं। विदेशी पर्यटक अपने अपने हैण्डीकैम पर इस दृश्य को कैद कर रहे हैं जो शायद वो अपने मुल्क में वापस जाकर सब को दिखाएँगे, और जो दृष्य शायद लाखों, करोड़ों रुपय खर्च करके भी प्राप्त नहीं किया जा सकता। और यह दृश्य है शोर मचाती, धूम मचाती युवाओं की टोलियों का, जो मोटर-बाइक्स पर तेज़ रफ़्तार से निकल रहीं है। साथ ही पैदल जुलूसें भी एक के बाद एक आती चली जा रही हैं। किसी के हाथ में तिरंगा लहरा रहा है तो कोई ढाक-ढोल पीट रहा है। और नृत्य करते युवक और बच्चों के जोश के तो क्या कहनें! पटाखों की आवाज़ों से कान बंद हो रहे हैं तो आसमान पर आतिशबाज़ियों की होड़ लगी है। यह जश्न है भारत के विश्वकप क्रिकेट जीत का। जब पिछले हफ़्ते मुझे दफ़्तर के काम से दिल्ली भेजा जा रहा था, तो मैं नाख़ुश था कि पता नहीं वर्ल्डकप फ़ाइनल मैच देख भी पाऊँगा कि नहीं। लेकिन अब मैं उन्हें धन्यवाद देता हूँ कि उनकी वजह से भारत की राजधानी में ऐसे ऐतिहासिक क्षण का मैं भागीद

जब ओल्ड इस गोल्ड के श्रोताओं ने सुनाये सुजॉय को अपनी पसंद के गीत- 150 वें एपिसोड का जश्न है आज की शाम

२० फरवरी २००९ को आवाज़ पर शुरू हुई एक शृंखला, जिसका नाम रखा गया ओल्ड इस गोल्ड. सुजॉय चट्टर्जी विविध भारती ग्रुप के सबसे सक्रिय सदस्य थे, यही माध्यम था उनसे परिचय का. फिर एक बार वो दिल्ली आये उन्होंने अपने ग्रुप के सभी मित्रों को मिलने के लिए बुलाया. उस दिन युग्म के नियंत्रक शैलेश भारतवासी जी उनसे मिले. उसके अगले दिन मैं सुजॉय से व्यक्तिगत रूप से मिला, उनके पास रेडियो प्रोग्राम्स का एक ऐसा खजाना मौजूद था जिस पर किसी की भी नज़र ललचा जाए, तब से यही जेहन में दौड़ता रहा कि किस तरह सुजोय के इस खजाने को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाया जाए, तभी अचानक ओल्ड इस गोल्ड का आईडिया क्लिक किया. २० फरवरी का दिन क्यों चुना गया इसकी भी एक ख़ास वजह थी, यहाँ थोडा सा व्यक्तिगत हो गया था मैं....यही वो दिन था जब मेरी सबसे प्रिय पूजनीय नानी माँ दुनिया को विदा कह गयी थी, मुझे लगा क्यों ना इस शृंखला को उन्हीं की यादों को समर्पित किया जाए. खैर जब सुजॉय से पहले पहल इस बारे में बात की तो सुजॉय तो क्या मैं और आवाज़ की टीम भी इसकी सफलता को लेकर संशय में थे, और फिर रोज एक नया गीत डालना, क्या हम ये सब नियमित रूप से कर पा