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दिया जलाकर आप बुझाया तेरे काम निराले...याद करें नूरजहाँ और उनकी सुरीली आवाज़ को इस गीत में

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 346/2010/46 इ न दिनों 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के अंतर्गत हम आपको ४० के दशक के हर साल का एक सुपरहिट गीत सुनवा रहे हैं अपनी ख़ास लघु शृंखला 'प्योर गोल्ड' में। आज इसकी छठी कड़ी में बारी है साल १९४५ की। ८ सितंबर १९४५। द्वितीय विश्व युद्ध का समापन। जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिरा कर विश्व के मानचित्र से उनका अस्तित्व ही मिटा दिया गया। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का रहस्यात्मक तरीक़े से ग़ायब हो जाना और संभवत: ताइपेइ के एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु के चर्चे ही १९४५ के मुख्य विषय थे। भारत का स्वाधीनता संग्राम भी पूरे शबाब पर थी। फ़िल्म उद्योग भी इससे बेअसर नहीं रह पाई। कारखानों में बंदूक, बम, और हथियार का उत्पादन इतना ज़्यादा बढ़ चुका था कि जिससे बहुत ज़्यादा मात्रा में आर्थिक लाभ हो रहे थे। इस विशाल धन राशी को कई गुणा और बढ़ाने के उद्येश्य से इन्हे फ़िल्म निर्माण में लगाया जाने लगा। फ़िल्मस्टार्स के पारिश्रमिक कई गुणा बढ़ गए, जिसका एक हिस्सा आयकर से मुक्त भी किया जाने लगा। इस वजह से वो बड़ी हस्तियाँ जो कभी फ़िल्म स्टुडियोज़ के कर्मच