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‘जय जय हे जगदम्बे माता...’ : नवरात्र पर विशेष

स्वरगोष्ठी – 140 में आज रागों में भक्तिरस – 8 राग यमन में सांध्य-वन्दन के स्वर        ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर इन दिनों जारी लघु श्रृंखला ‘रागों में भक्तिरस’ की आठवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, एक बार पुनः आप सब संगीत-रसिकों का स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपके लिए भारतीय संगीत के कुछ भक्तिरस प्रधान राग और उनमें निबद्ध रचनाएँ प्रस्तुत कर रहे हैं। साथ ही उस राग पर आधारित फिल्म संगीत के उदाहरण भी आपको सुनवा रहे हैं। श्रृंखला की आज की कड़ी में हम भारतीय संगीत के सर्वाधिक लोकप्रिय राग कल्याण अर्थात यमन पर चर्चा करेंगे। आपके समक्ष इस राग के भक्तिरस के पक्ष को स्पष्ट करने के लिए दो रचनाएँ प्रस्तुत करेंगे। पहले आप सुनेंगे 1964 में प्रदर्शित फिल्म ‘गंगा की लहरें’ से शक्तिस्वरूपा देवी दुर्गा की प्रशस्ति करता एक आरती गीत। आज के अंक में यह भक्तिगीत इसलिए भी प्रासंगिक है कि आज पूरे देश में शारदीय नवरात्र पर्व के नवें दिन देवी के मातृ-स्वरूप की आराधना पूरी आस्था के साथ की जा रही है। इसके साथ ही विश

गाइए गणपति जगवंदन- पारूल की पेशकश

सुनिए सिद्धि विनायक गणपति बप्पा की वंदना आज गणेश चतुर्थी है, पूरे देश में इस त्योहार की धूम है। कोई नये कपड़े खरीद रहा होगा तो कोई अपने परिजनों के लिए नये-नये उपहार। हलवाई की दुकान पर भीड़ होगी तो गणेश के मंदिर में हुजूम। आवाज़ के मंच पर तो कुछ संगीतमयी होना चाहिए। इसीलिए हम लेकर आये हैं एक संगीतबद्ध भजन जिसे पेश कर रही हैं बोकारो से पारूल। यह भजन पारूल द्वारा तानपुरा (तानपूरा) पर संगीतबद्ध है। सुनिए और खो जाइए भक्ति-संगीत में। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार बुद्धि के देवता श्री गणपति का जन्मोत्सव हम सब भाद्रपद की शुक्ल चतुर्थी को आनन्द व उल्लास के साथ विभिन्न तरीकों से मनाते हैं। अलग-अलग प्रांतों में इस पावन पर्व की महिमा विविध रंगों में दिखायी पड़ती है। भारत में गणेशोत्सव की धूम सबसे अधिक माहारा्ष्ट्र प्रान्त में गूँजती है। यहाँ गणपति बप्पा की मूर्ति की स्थापना से प्रारम्भ होकर दस दिनों तक यह त्यौहार जन-जन को भक्ति रस में सरोबार करने के बाद, अनंत चतुर्दशी को मूर्ति विसर्जन के साथ संपन्न होता है। गणेश चतुर्थी की हमारे स्वतंत्रता संग्राम में अहम् भूमिका रही है. यह त्यौहार सन १८९३ से