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बैरन नींद न आये....मदन मोहन साहब की यादों को समर्पित ओल्ड इस गोल्ड विशेष.

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 135 जु लाई का महीना, यानी कि सावन का महीना। एक तरफ़ बरखा रानी अपने पूरे शबाब पर होती हैं और इस सूखी धरा को अपने प्रेम से हरा भरा करती है। लेकिन जुलाई के इसी महीने में एक और चीज़ है जो छम छम बरसती है, और वो है संगीतकार मदन मोहन की यादें। जी हाँ दोस्तों, करीब करीब ढाई दशक बीत चुके हैं, लेकिन अब भी दिल के किसी कोने में छुपी कोई आवाज़ अब भी इशारा करती है १४ जुलाई के उस दिन की तरफ़ जब वो महान संगीतकार हमें छोड़ गये थे। उनके जाने से फ़िल्म संगीत में जो शून्य पैदा हुआ है, उसे भर पाना अब नामुमकिन सा जान पड़ता है। मदन मोहन साहब की सुरीली याद में आज से लेकर अगले सात दिनों तक, यानी कि ८ जुलाई से लेकर १४ जुलाई तक, 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में आप सुनने वाले हैं 'मदन मोहन विशेष'। मदन मोहन के स्वरबद्ध गीतों में सर्वश्रेष्ठ सात गानें चुनना संभव नही है, और ना ही हम इसकी कोई कोशिश कर रहे हैं। हम तो बस उनके संगीत के सात अलग अलग रंगों से आपका परिचय करवायेंगे अगले सात दिनों में। तो तैयार हो जाइये दोस्तों, फ़िल्म जगत के अनूठे संगीतकार मदन मोहन साहब की धुनों में ग़ोते लगाने क