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शोभना चौरे की लघुकथा करवा चौथ

लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने हरिकृष्ण देवसरे की कहानी " बकरी दो गाँव खा गई " का पॉडकास्ट अर्चना चावजी की आवाज़ में सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं इंदौर निवासी कवयित्री व लेखिका शोभना चौरे की लघुकथा " करवा चौथ ", माधवी चारुदत्ता की आवाज़ में। शोभना चौरे की लघुकथा "करवा चौथ" का कुल प्रसारण समय 1 मिनट 56 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। वेदना तो हूँ पर संवेदना नहीं, सह तो हूँ पर अनुभूति नहीं, मौजूद तो हूँ पर एहसास नहीं, ज़िन्दगी तो हूँ पर जिंदादिल नहीं, मनुष्य तो हूँ पर मनुष्यता नहीं, विचार तो हूँ पर अभिव्यक्ति नहीं| हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी कहानी "चारो तरफ करवा चौथ की चकाचौंध मची है