स्वरगोष्ठी – 384 में आज 
राग से रोगोपचार – 13 : सूर्योदय से पूर्व का राग ललित 
नवचेतना, आशा और मनोबल का संचार करने में सहायक है यह राग 
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| उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ | 
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| लता मंगेशकर | 
दुखद
 परिस्थिति से पीड़ित मन को भोर में साढ़े चार बजे से पाँच के दौरान नींद से 
जागने पर जब राग ललित का भावप्रधान गायन या वादन सुनने का अवसर मिलता है, 
तब उसके मन को काफी शान्ति प्राप्त होती है। उसके मन में नवचेतना, आशा और 
मनोबल का संचार होता है। राग ललित का वादी स्वर मध्यम और संवादी स्वर षडज 
होता है। इस राग में दोनों प्रकार के मध्यम स्वर का उपयोग होता है। जब 
शुद्ध मध्यम से तीव्र मध्यम का स्वर संयोग करते हैं तो एक श्रुत्यान्तर का 
तीव्र मध्यम प्रयोग किया जाता है। परन्तु जब गान्धार या कोमल धैवत पर लौटना
 हो तो दो श्रुत्यान्तर तीव्र मध्यम प्रयोग होगा। प्रथम प्रयोग से अपार 
शान्ति मिलेगी तथा दूसरे प्रयोग से आशा और नवचेतना का संचार होगा। तनाव, 
चिन्ताविकृति, डिप्रेसन आदि को दूर का रास्ता दिखाने तथा उक्त मनःस्थिति के
 कारण उत्पन्न होने वाली शारीरिक विकारों; जैसे धड़कन में वृद्धि, श्वास की 
समस्या, उदर विकार, सिर में दर्द आदि परेशानियों का निदान करने की क्षमता 
राग ललित में है। आपको राग ललित का उदाहरण सुनवाने के लिए हमने 
विश्वविख्यात शहनाईनवाज उस्ताद बिस्मिलाह खाँ की शहनाई को चुना है। उस्ताद 
बिस्मिल्लाह खाँ अपनी शहनाई पर राग ललित में तीनताल की निबद्ध गत प्रस्तुत 
कर रहे हैं। लीजिए, आप भी इस मधुर शहनाई पर राग ललित का रसास्वादन कीजिए। 
राग ललित : शहनाई पर तीनताल की गत : उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ 
आज
 के अंक में अब हम आपसे राग ललित की संरचना पर कुछ चर्चा कर रहे हैं। राग 
ललित, भारतीय संगीत का अत्यन्त मधुर राग है। यह राग पूर्वी थाट के अन्तर्गत
 माना जाता है। इस राग में कोमल ऋषभ, कोमल धैवत तथा दोनों मध्यम स्वरों का 
प्रयोग किया जाता है। आरोह और अवरोह दोनों में पंचम स्वर पूर्णतः वर्जित 
होता है। इसीलिए इस राग की जाति षाड़व-षाड़व होती है। अर्थात, राग के आरोह और
 अवरोह में 6-6 स्वरों का प्रयोग होता है। पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे 
जी ने राग ललित में शुद्ध धैवत के प्रयोग को माना है। उनके अनुसार यह राग 
मारवा थाट के अन्तर्गत आता है। राग ललित की जो स्वर-संरचना है उसके अनुसार 
यह राग किसी भी थाट के अनुकूल नहीं है। मारवा थाट के स्वरों से राग ललित के
 स्वर बिलकुल मेल नहीं खाते। राग ललित में शुद्ध मध्यम स्वर बहुत प्रबल है 
और यह राग का वादी स्वर भी है। इसके विपरीत मारवा में शुद्ध मध्यम सर्वथा 
वर्जित होता है। राग का वादी स्वर शुद्ध मध्यम और संवादी स्वर षडज होता है।
 
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| मन्ना डे | 
राग ललित : ‘प्रीतम दरस दिखाओ...’ : मन्ना डे और लता मंगेशकर : फिल्म – चाचा ज़िन्दाबाद 
संगीत पहेली 
 
‘स्वरगोष्ठी’
 के 384वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1980 में प्रदर्शित एक 
फिल्म से रागबद्ध गीत का अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको 
दो अंक अर्जित करने के लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के 
उत्तर देने आवश्यक हैं। यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों प्रश्नों 
का उत्तर ज्ञात हो तो भी आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। 390वें अंक 
की ‘स्वरगोष्ठी’ तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें वर्ष 2018
 के चौथे सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे वर्ष के 
प्राप्तांकों की गणना के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की घोषणा की 
जाएगी और उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा।  
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग का आधार है? 
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए। 
3 – इस गीत को किस विदुषी गायिका ने स्वर दिया है? 
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
 पर ही शनिवार, 15 सितम्बर, 2018 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको 
यदि उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप 
पहेली प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
 में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
 देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। “फेसबुक” पर पहेली का उत्तर 
स्वीकार नहीं किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, प्रदेश और देश के नाम
 के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के 386वें अंक में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में 
प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या 
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी 
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं। 
पिछली पहेली के विजेता 
 
‘स्वरगोष्ठी’
 की 382वें अंक की संगीत पहेली में हमने आपको वर्ष 1961 में प्रदर्शित 
फिल्म “स्त्री” के एक रागबद्ध गीत का अंश सुनवा कर आपसे तीन में से किसी दो
 प्रश्न के उत्तर पूछा था। पहले प्रश्न का सही उत्तर है; राग – बसन्त, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – तीनताल व दादरा और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – आशा भोसले और महेन्द्र कपूर।   
“स्वरगोष्ठी”
 की इस पहेली प्रतियोगिता में तीनों अथवा तीन में से दो प्रश्नो के सही 
उत्तर देकर विजेता बने हैं; वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, फिनिक्स, अमेरिका से मुकेश लाडीया, चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, मैरिलैण्ड, अमेरिका से विजया राजकोटिया, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, नवीन मुम्बई, महाराष्ट्र से शिरीष ओक और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी।
 उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक 
बधाई। सभी प्रतिभागियों से अनुरोध है कि अपने पते के साथ कृपया अपना उत्तर 
ई-मेल से ही भेजा करें। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी 
हिस्सा ले सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के
 सही उत्तर ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक भी उत्तर ज्ञात हो तो भी आप
 इसमें भाग ले सकते हैं। 
अपनी बात 
मित्रों,
 ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी हमारी
 महत्त्वाकांक्षी श्रृंखला “राग से रोगोपचार” की तेरहवीं कड़ी में आपने कुछ 
शारीरिक और मनोशारीरिक रोगों के उपचार में सहयोगी राग ललित का परिचय 
प्राप्त किया। आपने उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ द्वारा शहनाई पर प्रस्तुत राग 
बसन्त की एक रचना का रसास्वादन किया। साथ ही आपने मन्ना डे और लता मंगेशकर 
के स्वर में इस राग पर केन्द्रित एक फिल्मी गीत फिल्म “चाचा ज़िन्दाबाद” से 
सुना। हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी “स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक
 का अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजते रहेगे। आज के अंक 
के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। हमारी वर्तमान अथवा
 अगली श्रृंखला के लिए यदि आपका कोई सुझाव या अनुरोध हो तो हमें  swargoshthi@gmail.com
 पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे। 
शोध व आलेख : पं. श्रीकुमार मिश्र    
सम्पादन व प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
 सम्पादन व प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
राग ललित : SWARGOSHTHI – 384 : RAG LALIT : 9 सितम्बर, 2018 



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