स्वरगोष्ठी – 213 में आज      भारतीय संगीत शैलियों का परिचय : 11 : टप्पा     ऊँटों के काफिले के सौदागरों से उपजी टप्पा गायकी             ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक  स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर लघु श्रृंखला ‘भारतीय संगीत शैलियों का  परिचय’ की समापन कड़ी के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का  हार्दिक स्वागत करता हूँ। पाठकों और श्रोताओं के अनुरोध पर आरम्भ की गई इस  लघु श्रृंखला के अन्तर्गत हमने भारतीय संगीत की उन परम्परागत शैलियों का  परिचय प्रस्तुत किया है, जो आज भी पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमारे बीच उपस्थित हैं।  भारतीय संगीत की एक समृद्ध परम्परा है। वैदिक युग से लेकर वर्तमान तक इस  संगीत-धारा में अनेकानेक धाराओं का संयोग हुआ। इनमें से भारतीय संगीत के  मौलिक सिद्धान्तों के अनुकूल जो धाराएँ थीं उन्हें स्वीकृति मिली और वह आज  भी एक संगीत शैली के रूप स्थापित है और उनका उत्तरोत्तर विकास भी हुआ।  विपरीत धाराएँ स्वतः नष्ट भी हो गईं। पिछली पिछली तीन कड़ियों में हमने  भारतीय संगीत की सर्वाधिक लोकप्रिय ‘ठुमरी’ शैली पर चर्चा की थी। आज के अंक  में हम आपको ठुमरी के साथ...