लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। पिछली बार आपने अनुराग शर्मा  के स्वर में गिरिजेश राव  की लघुकथा  " मुक्ति " का वाचन सुना था।   आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं शाहिद मंसूर "अजनबी"  की लघुकथा माँ तो सबकी एक-जैसी होती है , जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा  ने।   इस कहानी का गद्य  सुख़नफ़हम ब्लॉग  पर पढ़ा जा सकता है। इस कहानी का कुल प्रसारण समय 2 मिनट 15 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।   यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें।            लफ़्ज़ों को तोड़ता हूँ, रदीफ़-काफिया जोड़ता हूँ  यूँ समझो दिल की उलझन को, काग़ज़ पे उतारता हूँ   ~  शाहिद मंसूर "अजनबी"   हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी हिन्दी कहानी    "माँ का खत पढ़ने से ...