भारतीय सिनेमा के सौ साल – 44     कारवाँ सिने-संगीत का    1934 की दो फिल्में : ‘चण्डीदास’ और ‘अमृत मन्थन’           भारतीय सिनेमा के शताब्दी वर्ष में  ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ द्वारा आयोजित विशेष अनुष्ठान- ‘कारवाँ सिने  संगीत का’ में आप सभी सिनेमा-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत है। आज माह का  दूसरा गुरुवार है और इस दिन हम ‘कारवाँ सिने-संगीत का’ स्तम्भ के अन्तर्गत  ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के संचालक मण्डल के सदस्य सुजॉय चटर्जी की  प्रकाशित पुस्तक ‘कारवाँ सिने-संगीत का’ से किसी रोचक प्रसंग का उल्लेख  करते हैं। आज के अंक में सुजॉय जी 1934 में ‘न्यू थिएटर्स’ की फिल्म  ‘चण्डीदास’ और ‘प्रभात’ द्वारा निर्मित फिल्म ‘अमृत मन्थन’ का ज़िक्र कर रहे  हैं। इन फिल्मों ने समाज में व्याप्त रूढ़ियों के विरुद्ध जनमानस को प्रेरित करने में अग्रणी भूमिका का निर्वहन किया था।          सहगल   1934  की सबसे चर्चित फ़िल्म थी ‘न्यू थिएटर्स’ की ‘चण्डीदास’। उमा शशि के साथ सहगल की जोड़ी बनी और इस फ़िल्म ने चारों तरफ़ कामयाबी के परचम लहरा दिए। भले ही सहगल के पहले के गीत भी काफ़ी लोकप्रिय हुए थे, पर सही मायने में ...