गाना:  तेरी गठरी में लागा चोर    चित्रपट: धूप-छाँव   संगीतकार: राय चन्द्र बोराल   गीतकार:  पंडित सुदर्शन   गायक: के. सी. डे       तेरी गठरी में लागा चोर  मुसाफिर जाग ज़रा, जाग ज़रा  तेरी गठरी में लागा चोर  मुसाफिर जाग ज़रा, जाग ज़रा   आज ज़रा सा फ़ितना है ये  तू कहता है कितना है ये  आज ज़रा सा फ़ितना है ये  तू कहता है कितना है ये  दो दिन में ये बढ़कर होगा मुंहफट और मुंहजोर  दो दिन में ये बढ़कर होगा मुंहफट और मुंहजोर  मुसाफिर जाग ज़रा   तेरी गठरी में लागा चोर  मुसाफिर जाग ज़रा, जाग ज़रा   नींद में माल गँवा बैठेगा  अपना आप लुटा बैठेगा  नींद में माल गँवा बैठेगा  अपना आप लुटा बैठेगा  फिर पीछे कुछ नहीं बनेगा  फिर पीछे कुछ नहीं बनेगा  लाख मचाये शोर, शोर  मुसाफिर जाग ज़रा  तेरी गठरी में लागा चोर  मुसाफिर जाग ज़रा, जाग ज़रा   तेरी गठरी में लागा चोर, चोर