स्वरगोष्ठी – 148 में आज     रागों में भक्तिरस – 16      ‘चदरिया झीनी रे बीनी...’        ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी  लघु श्रृंखला ‘रागों में भक्तिरस’ की सोलहवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन  मिश्र, आप सब संगीत-रसिकों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। मित्रों, इस  श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपके लिए भारतीय संगीत के कुछ भक्तिरस प्रधान राग  और कुछ प्रमुख भक्तिरस कवियों की रचनाएँ प्रस्तुत कर रहे हैं। साथ ही उस  भक्ति रचना के फिल्म में किये गए प्रयोग भी आपको सुनवा रहे हैं। श्रृंखला  की पिछली दो कड़ियों में हमने सोलहवीं शताब्दी की भक्त कवयित्री मीरा के दो  पदों पर आपके साथ चर्चा की थी। आज की कड़ी में हम पन्द्रहवीं शताब्दी के  सन्त कवि कबीर के व्यक्तित्व और उनके एक पद- ‘चदरिया झीनी रे बीनी...’ पर  चर्चा करेंगे। कबीर के इस पद को भारतीय संगीत की हर शैली में गाया गया है।  आज के अंक में पहले हम आपको यह पद राग चारुकेशी में निबद्ध, ध्रुवपद गायक  गुण्डेचा बन्धुओं के स्वरों में सुनवाएँगे। इसके बाद यही पद सुविख्यात भजन  गायक अनूप जलोटा राग देश में और अन्त ...