लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। पिछली बार आपने  शीतल माहेश्वरी  के स्वर में निरञ्जन धुळेकर  की लघुकथा " छन्न " का वाचन सुना था।   आज प्रस्तुत है  वीरेंद्र भाटिया  की लघुकथा गाय , जिसे स्वर दिया है शीतल माहेश्वरी  ने।   प्रस्तुत लघुकथा " गाय " का कुल प्रसारण समय 4 मिनट 33 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।   यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिकों, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं आदि को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें।            कोई पशु अपने साथी को नहीं खाता। जिसे खाता है उसे मालूम है कि मैं इसका भोजन बनूंगा। इधर नहीं मालूम। आदमी कब साथी को खा जाए साथी को नहीं मालूम।  ~ वीरेंद्र भाटिया   हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी हिन्दी कहानी      "हाईवे पर फर्र फर्र आ जा रहे थे वाहन, हाईवे पार करती गाय ट्रक स...