स्वरगोष्ठी – 312 में आज     फागुन के रंग – 4 : धमार में होली     गुण्डेचा बन्धुओं के प्रभावी स्वरों में सुनिए – “चोरी चोरी मारत हौं कुमकुम...”             ‘ रेडियो  प्लेबैक इण्डिया’ के मंच पर ‘स्वरगोष्ठी’ की श्रृंखला “फागुन के रंग” की  चौथी कड़ी के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक  स्वागत करता हूँ। मित्रों, इस श्रृंखला में हम आपसे फाल्गुनी संगीत पर  चर्चा कर रहे हैं। भारतीय पंचांग के अनुसार बसन्त ऋतु की आहट माघ मास के  शुक्ल पक्ष की पंचमी को ही मिल जाती है। बसन्त ऋतु के आगमन के साथ ऋतु के  अनुकूल गायन-वादन का सिलसिला आरम्भ हो जाता है। इस ऋतु में राग बसन्त और  राग बहार आदि का गायन-वादन किया जाता है। होलिका दहन के साथ ही रंग-रँगीले  फाल्गुन मास का आगमन होता है। पिछले दिनों हमने हर्षोल्लास से होलिका दहन  और उसके अगले दिन रंगों का पर्व मनाया था। इस परिवेश का एक प्रमुख राग काफी  होता है। स्वरों के माध्यम से फाल्गुनी परिवेश, विशेष रूप से श्रृंगार रस  की अभिव्यक्ति के लिए राग काफी सबसे उपयुक्त राग है। अब तो चैत्र, शुक्ल  प्रतिपदा अर्थात भारतीय नववर्ष का शुभारम्...