स्वरगोष्ठी – 391 में आज     पूर्वांग और उत्तरांग राग – 6 : राग केदार       लता मंगेशकर से फिल्म का एक गीत और एन. राजम् से वायलिन पर राग केदार सुनिए              डॉ.एन.राजम्       लता मंगेशकर   ‘रेडियो  प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी हमारी  श्रृंखला “पूर्वांग और उत्तरांग राग” की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र,  आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। रागों को पूर्वांग और  उत्तरांग में विभाजित करने के लिए सप्तक के सात स्वरों के साथ तार सप्तक के  षडज स्वर को मिला कर आठ स्वरों के संयोजन को दो भागों में बाँट दिया जाता  है। प्रथम भाग षडज से मध्यम तक पूर्वांग और दूसरे भाग पंचम से तार षडज तक  उत्तरांग कहा जाता है। इसी प्रकार जो राग दिन के पहले भाग (पूर्वार्द्ध)  अर्थात दिन के 12 बजे से रात्रि के 12 बजे के बीच में गाया-बजाया जाता हो  उन्हें पूर्व राग और जो राग दिन के दूसरे भाग (उत्तरार्द्ध) अर्थात रात्रि  12 बजे से दिन के 12 बजे के बीच गाया-बजाया जाता हो उन्हें उत्तर राग कहा  जाता है। भारतीय संगीत का यह नियम है कि जिन रागों में वादी स्वर ...