स्वरगोष्ठी - 452 में आज       मारवा थाट के राग - 1 : राग मारवा       उस्ताद राशिद खाँ से मारवा का खयाल और लता मंगेशकर से फिल्म “साज और आवाज़” का गीत सुनिए              उस्ताद राशिद खाँ     लता मंगेशकर   “रेडियो  प्लेबैक इण्डिया” के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर आज से आरम्भ  हमारी नई श्रृंखला “मारवा थाट के राग” की पहली कड़ी में मैं कृष्णमोहन  मिश्र, आप सब संगीत प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारतीय संगीत के  अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था  है। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र अर्थात कुल बारह  स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए इन बारह स्वरों में से कम  से कम पाँच का होना आवश्यक होता है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की  पद्धति है। सप्तक के मुख्य सात स्वरों के क्रमानुसार बारह समुदाय को थाट  कहते हैं। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72  मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग  किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे जी ने प्रार...