स्वरगोष्ठी – 133 में आज     रागों में भक्तिरस – 1      'भवानी दयानी महावाक्वानी सुर नर मुनि जन मानी...'        भारतीय संगीत की परम्परा के सूत्र वेदों से जुड़े हैं। इस संगीत का उद्गम  यज्ञादि के समय गेय मंत्रों के रूप में हुआ। आरम्भ से ही आध्यात्म और धर्म  से जुड़े होने के कारण हजारों वर्षों तक भारतीय संगीत का स्वरूप भक्तिरस  प्रधान रहा। मध्यकाल तक संगीत का विकास मन्दिरों में ही हुआ था,  परिणामस्वरूप हमारे परम्परागत संगीत में भक्तिरस की आज भी प्रधानता है।  ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर आज से हम एक  नई श्रृंखला आरम्भ कर रहे हैं, जिसका शीर्षक है- ‘रागों में भक्तिरस’। इस  श्रृंखला की प्रथम कड़ी में, मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत प्रेमियों का  हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस नई श्रृंखला में हम आपको विभिन्न रागों में  निबद्ध भक्ति संगीत की कुछ उत्कृष्ट रचनाओं का रसास्वादन कराएँगे। साथ ही  उन्हीं रागों पर आधारित फिल्मी गीतों को भी हमने श्रृंखला की विभिन्न  कड़ियों में सम्मिलित किया है। आज श्रृंखला की पहली कड़ी में हमने आपके लिए  राग भैरवी चुना है। इस ...