स्वरगोष्ठी – 120 में आज      रागों के रंग रागमाला गीत के संग – 6     ‘एक ऋतु आए एक ऋतु जाए...’         संगीत-प्रेमियों की साप्ताहिक महफिल ‘स्वरगोष्ठी’ के एक नये अंक का साथ मैं  कृष्णमोहन मिश्र पुनः उपस्थित हूँ। ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक  स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी है लघु श्रृंखला ‘रागों के रंग रागमाला गीत  के संग’। आज हम आपके लिए जो रागमाला गीत प्रस्तुत कर रहे हैं, उसे हमने  1966 में प्रदर्शित फिल्म ‘सौ साल बाद’ से लिया है। इस गीत में चार रागों-  भटियार, आभोगी कान्हड़ा, मेघ मल्हार और बसन्त बहार का प्रयोग हुआ है। गीत के  चार अन्तरे हैं और इन अन्तरों में क्रमशः स्वतंत्र रूप से इन्हीं रागों का  प्रयोग किया गया है। इसके गीतकार आनन्द बक्शी और संगीतकार लक्ष्मीकान्त  प्यारेलाल हैं।      इ स श्रृंखला के पिछले अंकों में आपने कुछ ऐसे रागमाला गीतों का आनन्द लिया था, जिनमें रागों का प्रयोग प्रहर के क्रम से था या ऋतुओं के क्रम से हुआ था। परन्तु आज के रागमाला गीत में रागों का क्रम प्रहर अथवा ऋतु के क्रम में नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि फिल्म ‘सौ साल बाद’ के इस रागमाला गीत में...