स्वरगोष्ठी – 183 में आज      फिल्मों के आँगन में ठुमकती पारम्परिक ठुमरी - 2 : भैरवी दादरा       उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ का गाया दादरा जब मन्ना डे ने दुहराया- ‘बनाओ बतियाँ चलो काहे को झूठी...’               ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक  स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘फिल्मों के आँगन में  ठुमकती पारम्परिक ठुमरी’ के दूसरे अंक में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब  संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। यह पूर्व में प्रकाशित /  प्रसारित श्रृंखला का परिमार्जित रूप है। ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के कुछ  स्तम्भ केवल श्रव्य माध्यम से प्रस्तुत किये जाते हैं तो कुछ स्तम्भ आलेख,  चित्र दृश्य माध्यम और गीत-संगीत श्रव्य माध्यम के मिले-जुले रूप में  प्रस्तुत होते हैं। इस श्रृंखला से हम एक नया प्रयोग कर रहे हैं। श्रृंखला  के अंक हम प्रायोगिक रूप से दोनों माध्यमों में प्रस्तुत कर रहे हैं।  ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की प्रमुख सहयोगी संज्ञा टण्डन की आवाज़ में पूरा  आलेख और गीत-संगीत श्रव्य माध्यम से भी प्रस्तुत किया जा रहा है। हमारे इस  प्रयोग पर आप अपनी प्रतिक्रिया अवश्य ...