स्वरगोष्ठी – 198 में आज     शास्त्रीय संगीतज्ञों के फिल्मी गीत – 7 : राग बागेश्री     उस्ताद अमीर खाँ ने गाया बाँग्ला फिल्म में राग बागेश्री के स्वरों में खयाल- ‘कैसे कटे रजनी...’                  ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक  स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी है, हमारी लघु श्रृंखला, ‘शास्त्रीय  संगीतज्ञों के फिल्मी गीत’। फिल्म संगीत के क्षेत्र में चौथे से लेकर आठवें  दशक के बीच शास्त्रीय संगीत के कई विद्वानों और विदुषियों ने अपना योगदान  किया है। छठें दशक के फिल्म संगीत में इस प्रकार के गीतों की संख्या अधिक  थी। इस श्रृंखला में हमने कुछ ऐसे ही फिल्मी गीतों का चुनाव किया है,  जिन्हें रागदारी संगीत के प्रयोक्ताओं और विशेषज्ञों ने रचा है। इन रचनाओं  में राग के स्पष्ट स्वरूप की उपस्थिति मिलती है। श्रृंखला के सातवें अंक  में आज हम आपसे 1960 में प्रदर्शित बाँग्ला फिल्म ‘क्षुधित पाषाण’ के एक  गीत पर चर्चा करेंगे। फिल्म का यह गीत राग बागेश्री कामोद के स्वरों में  पिरोया गया है। सुविख्यात गायक उस्ताद अमीर खाँ और बाँग्ला गीतों की  सुप्रसिद्ध गायिका प्रतिमा बनर...