गाना:  मत मारो शाम पिचकारी  चित्रपट:  दुर्गेश नन्दिनी  संगीतकार: हेमंत कुमार  गीतकार: राजिंदर कृष्ण  स्वर:  लता       मत मारो शाम पिचकारी  मोरी भीगी चुनरिया सारी रे...   नाजुक तन मोरा रंग न डारो शामा  अंग-अंग मोर फड़के  रंग पड़े जो मोरे गोरे बदन पर  रूप की ज्वाला भड़के  कित जाऊँ मैं लाज की मारी रे  मत मारो शाम...   काह करूँ कान्हा, रूप है बैरी मेरा  रंग पड़े छिल जाये  देखे यह जग मोहे, तिरछी नजरिया से  मोरा जिया घबराये  कित जाऊँ मैं लाज की मारी रे  मत मारो शाम...