जयशंकर प्रसाद की कहानी कला   'बोलती कहानियाँ' स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा  की आवाज़ में प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट काजल कुमार  की लघुकथा ' लोकतंतर ' का पॉडकास्ट सुना था। आज हम लेकर आये हैं महान साहित्यकार जयशंकर प्रसाद  की कहानी " कला ", जिसको स्वर दिया है अर्चना चावजी  ने। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। कहानी का कुल प्रसारण समय है: 11 मिनट 15 सेकंड।   इसी कहानी का एक अन्य ऑडियो संस्करण बोलती कहानियाँ के लिए अनुराग शर्मा के स्वर में भी उपलब्ध है ।   यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानी, उपन्यास, नाटक, धारावाहिक, प्रहसन, झलकी, एकांकी, या लघुकथा को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो आपका स्वागत है। अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें।        झुक जाती है मन की डाली, अपनी फलभरता के डर में।  ~ जयशंकर प्रसाद (30-1-1889 - 14-1-1937)   हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए एक नयी कहानी   अब मैं घर जाऊंगी, अब मेरी शिक्षा समाप्त हो चुकी।  ( जयशंकर प्रसाद की "कला" से...