स्वरगोष्ठी – 255 में आज     दोनों मध्यम स्वर वाले राग – 3 : राग छायानट      राग छायानट के स्वरों में दो ठुमकती प्रस्तुतियाँ           ‘रेडियो  प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी  श्रृंखला – ‘दोनों मध्यम स्वर वाले राग’ की तीसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन  मिश्र आप सब संगीत-रसिकों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। इस श्रृंखला में हम  भारतीय संगीत के कुछ ऐसे रागों की चर्चा कर रहे हैं, जिनमें दोनों मध्यम  स्वरों का प्रयोग किया जाता है। संगीत के सात स्वरों में ‘मध्यम’ एक  महत्त्वपूर्ण स्वर होता है। हमारे संगीत में मध्यम स्वर के दो रूप प्रयोग  किये जाते हैं। स्वर का पहला रूप शुद्ध मध्यम कहलाता है। 22 श्रुतियों में  दसवाँ श्रुति स्थान शुद्ध मध्यम का होता है। मध्यम का दूसरा रूप तीव्र या  विकृत मध्यम कहलाता है, जिसका स्थान बारहवीं श्रुति पर होता है।  शास्त्रकारों ने रागों के समय-निर्धारण के लिए कुछ सिद्धान्त निश्चित किये  हैं। इन्हीं में से एक सिद्धान्त है, “अध्वदर्शक स्वर”। इस सिद्धान्त के  अनुसार राग का मध्यम स्वर महत्त्वपूर्ण हो जाता है। अध्वदर्शक स्वर  सिद्ध...