भारतीय सिनेमा के सौ साल – 34           स्मृतियों का झरोखा : ‘किसे याद रखूँ किसे भूल जाऊँ...’                 भारतीय सिनेमा के शताब्दी वर्ष में  ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ द्वारा आयोजित विशेष अनुष्ठान- ‘स्मृतियों का  झरोखा’ में आप सभी सिनेमा-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत है। आज माह का  पाँचवाँ गुरुवार है और नए वर्ष की नई समय सारिणी के अनुसार माह का पाँचवाँ  गुरुवार हमने आमंत्रित अतिथि लेखकों के लिए सुरक्षित कर रखा है। आज  ‘स्मृतियों का झरोखा’ का यह अंक आपके लिए पार्श्वगायक मुकेश के परम भक्त और  हमारे नियमित पाठक पंकज मुकेश लिखा है। पंकज जी ने गायक मुकेश के  व्यक्तित्व और कृतित्व पर गहन शोध किया है। अपने शुरुआती दौर में मुकेश ने  फिल्मों में पार्श्वगायन से अधिक प्रयत्न अभिनेता बनने के लिए किये थे, इस  तथ्य से अधिकतर सिनेमा-प्रेमी परिचित हैं। परन्तु इस तथ्य से शायद आप  परिचित न हों कि मुकेश, 1956 में प्रदर्शित फिल्म ‘अनुराग’ के निर्माता,  अभिनेता और गायक ही नहीं संगीतकार भी थे। आज के ‘स्मृतियों का झरोखा’ में  पंकज जी ने मुकेश के कृतित्व के इन्हीं पक्षों, विशेष रूप से उनकी  संगीतकार...