स्वरगोष्ठी – 315 में आज
संगीतकार रोशन के गीतों में राग-दर्शन – 1 : राग गौड़ मल्हार का आकर्षक रूप 
मालविका कानन और लता मंगेशकर से सुनिए –“गरजत बरसत भीजत आई लो...” 
‘रेडियो
 प्लेबैक इण्डिया’ के मंच पर ‘स्वरगोष्ठी’ की एक नई श्रृंखला “संगीतकार 
रोशन के गीतों में राग-दर्शन” की पहली कड़ी के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप 
सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। मित्रों, इस श्रृंखला में 
हम फिल्म जगत में 1949 से लेकर 1967 तक सक्रिय रहे संगीतकार रोशन के राग 
आधारित गीत प्रस्तुत करेंगे। रोशन ने भारतीय फिल्मों में हर प्रकार का 
संगीत दिया है, किन्तु राग आधारित गीत और कव्वालियों को स्वरबद्ध करने में 
उन्हें विशिष्टता प्राप्त थी। भारतीय फिल्मों  में राग आधारित गीतों को 
स्वरबद्ध करने में संगीतकार नौशाद और मदन मोहन के साथ रोशन का नाम भी 
चर्चित है। इस श्रृंखला में हम आपको संगीतकार रोशन के स्वरबद्ध किये राग 
आधारित गीतों में से कुछ गीतों को चुन कर सुनवा रहे हैं और इनके रागों पर 
चर्चा भी कर रहे हैं। इस परिश्रमी संगीतकार का पूरा नाम रोशन लाल नागरथ था।
 14 जुलाई 1917 को तत्कालीन पश्चिमी पंजाब के गुजरावालॉ शहर (अब पाकिस्तान)
 में एक ठेकेदार के घर में जन्मे रोशन का रूझान बचपन से ही अपने पिता के 
पेशे की और न होकर संगीत की ओर था। संगीत की ओर रूझान के कारण वह अक्सर 
फिल्म देखने जाया करते थे। इसी दौरान उन्होंने एक फिल्म ‘पूरन भगत’ देखी। 
इस फिल्म में पार्श्वगायक सहगल की आवाज में एक भजन उन्हें काफी पसन्द आया। 
इस भजन से वह इतने ज्यादा प्रभावित हुए कि उन्होंने यह फिल्म कई बार देख 
डाली। ग्यारह वर्ष की उम्र आते-आते उनका रूझान संगीत की ओर हो गया और वह 
पण्डित मनोहर बर्वे से संगीत की शिक्षा लेने लगे। मनोहर बर्वे स्टेज के 
कार्यक्रम को भी संचालित किया करते थे। उनके साथ रोशन ने देशभर में हो रहे 
स्टेज कार्यक्रमों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया। मंच पर जाकर मनोहर बर्वे 
जब कहते कि “अब मैं आपके सामने देश का सबसे बडा गवैया पेश करने जा रहा हूँ”
 तो रोशन मायूस हो जाते क्योंकि “गवैया” शब्द उन्हें पसन्द नहीं था। उन 
दिनों तक रोशन यह तय नहीं कर पा रहे थे कि गायक बना जाये या फिर संगीतकार। 
कुछ समय के बाद रोशन घर छोडकर लखनऊ चले गये और पण्डित विष्णु नारायण 
भातखण्डे जी द्वारा स्थापित मॉरिस कॉलेज ऑफ हिन्दुस्तानी म्यूजिक (वर्तमान 
में भातखण्डे संगीत विश्वविद्यालय) में प्रवेश ले लिया और कॉलेज के 
प्रधानाचार्य डॉ. श्रीकृष्ण नारायण रातंजनकर के मार्गदर्शन में विधिवत 
संगीत की शिक्षा लेने लगे। पाँच वर्ष तक संगीत की शिक्षा लेने के बाद वह 
मैहर चले आये और उस्ताद अलाउदीन खान से संगीत की शिक्षा लेने लगे। एक दिन 
अलाउदीन खान ने रोशन से पूछा “तुम दिन में कितने घण्टे रियाज करते हो। ” 
रोशन ने गर्व के साथ कहा ‘दिन में दो घण्टे और शाम को दो घण्टे”, यह सुनकर 
अलाउदीन बोले “यदि तुम पूरे दिन में आठ घण्टे रियाज नहीं कर सकते हो तो 
अपना बोरिया बिस्तर उठाकर यहाँ से चले जाओ”। रोशन को यह बात चुभ गयी और 
उन्होंने लगन के साथ रियाज करना शुरू कर दिया। शीघ्र ही उनकी मेहनत रंग आई 
और उन्होंने सुरों के उतार चढ़ाव की बारीकियों को सीख लिया। इन सबके बीच 
रोशन ने उस्ताद बुन्दु खान से सांरगी की शिक्षा भी ली। उन्होंने वर्ष 1940 
में दिल्ली रेडियो केंद्र के संगीत विभाग में बतौर संगीतकार अपने कैरियर की
 शुरूआत की। बाद में उन्होंने आकाशवाणी से प्रसारित कई कार्यक्रमों में 
बतौर हाउस कम्पोजर भी काम किया। वर्ष 1948 में फिल्मी संगीतकार बनने का 
सपना लेकर रोशन दिल्ली से मुम्बई आ गये। श्रृंखला की पहली कड़ी में आज हमने 
1951 में प्रदर्शित फिल्म ‘मल्हार’ का एक गीत चुना है, जिसे रोशन ने राग 
गौड़ मल्हार के स्वरों में पिरोया है। यह गीत लता मंगेशकर की आवाज़ में 
प्रस्तुत किया गया है। इसके साथ ही इसी राग की एक लोकप्रिय बन्दिश 
सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका विदुषी मालविका कानन के स्वरों में हम 
प्रस्तुत कर रहे हैं। 
फिल्म
 जगत में रोशन के नाम से विख्यात संगीतकार का पूरा नाम रोशन लाल नागरथ था। 
रोशन का प्रारम्भिक परिचय देते हुए उपरोक्त भूमिका में जैसा निवेदन किया 
गया है, उनका जन्म पंजाब के गुजरावालाँ (अब पाकिस्तान) में 14 जुलाई, 1917 
को हुआ था। संगीत के प्रति उन्हें बचपन से ही लगाव था। देश के तत्कालीन 
वरिष्ठ संगीत गुरुओं से उनकी शिक्षा हुई। उन्होने पाठ्यक्रम पदयति से पाँच 
वर्ष तक मॉरिस कॉलेज ऑफ हिन्दुस्तानी म्यूजिक (वर्तमान में भातखण्डे संगीत 
विश्वविद्यालय) से और गुरु-शिष्य परम्परा के अन्तर्गत मैहर के उस्ताद 
अलाउद्दीन खाँ से संगीत का विधिवत प्रशिक्षण ग्रहण किया था। रोशन ने हर 
प्रकार का संगीत सीखा था, परन्तु उन्हें इसराज अथवा दिलरुबा वाद्य से विशेष
 लगाव था। यह वाद्य सारंगी वादन की तकनीक से मेल रखता है। इन वाद्यों का 
प्रभाव रोशन के स्वरबद्ध अधिकतर गीतों में मिलता है। 
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| लता मंगेशकर | 
राग  गौड़ मल्हार : ‘गरजत बरसत भीजत आई लो...’ : लता मंगेशकर : फिल्म - मल्हार  
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| मालविका कानन | 
राग गौड़ मल्हार : ‘गरजत बरसत भीजत आई लो...’ : विदुषी मालविका कानन : तीनताल 
संगीत पहेली 
 
‘स्वरगोष्ठी’
 के 315वें अंक की पहेली में आज हम आपको 65 वर्ष से अधिक पुरानी फिल्म के 
एक राग आधारित गीत का अंश सुनवा रहे है। इसे सुन कर आपको तीन में से कम से 
कम दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं। 320वें अंक की पहेली के सम्पन्न होने तक
 जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस वर्ष के दूसरे सत्र का 
विजेता घोषित किया जाएगा। 
1 – संगीत के इस अंश में किस राग का आधार है? राग का नाम बताइए। 
2 – रचना के इस अंश में किस ताल का प्रयोग किया गया है? ताल का नाम लिखिए। 
3 – यह किस पार्श्वगायिका की आवाज़ है? 
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com पर ही शनिवार 6 मई, 2017 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। COMMENTS
 में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
 देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, 
प्रदेश और देश के नाम के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के 317वें अंक में प्रकाशित 
करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि
 आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम
 आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।   
पिछली पहेली के विजेता 
 
‘‘स्वरगोष्ठी’
 की 312वीं कड़ी की पहेली में हमने आपको 1963 में प्रदर्शित फिल्म ‘गोदान’ 
से एक शैली प्रधान और राग आधारित गीत का एक अंश सुनवा कर आपसे तीन में से 
दो प्रश्नों का उत्तर पूछा था। पहले प्रश्न का सही उत्तर है, राग – तिलक कामोद, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है, ताल – दीपचन्दी और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है, स्वर – पार्श्वगायक मुकेश। 
इस अंक की पहेली में हमारे नियमित प्रतिभागियों ने दो-दो अंक अपने खाते में जोड़ लिये हैं। जबलपुर से क्षिति तिवारी, पेंसिलवेनिया, अमेरिका से विजया राजकोटिया, हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी. चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल और वोरहीज़, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया इस सप्ताह के विजेता हैं। उपरोक्त सभी पाँच प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई। 
अपनी बात 
मित्रों,
 ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर इस सप्ताह 
से हमारी नई श्रृंखला ‘संगीतकार रोशन के गीतों में राग-दर्शन’ का शुभारम्भ 
हुआ है। इस अंक में हमने रोशन के संगीत से सजी फिल्म ‘मल्हार’ से राग गौड़ 
मल्हार में पिरोए एक गीत और इस राग के पारम्परिक स्वरूप पर चर्चा की है। 
आगामी अंक में हम रोशन के संगीत से सजे एक और राग आधारित गीत पर चर्चा 
करेंगे। अगले अंक अथवा अगली श्रृंखला के विषय, राग, रचना और कलाकार के बारे
 में यदि आपकी कोई फरमाइश हो तो हमें अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को 
प्रातः 8 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के इसी मंच पर सभी संगीत-प्रेमियों से हम 
पुनः मिलेंगे। 
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र   
 


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