स्वरगोष्ठी – 264 में आज 
होली और चैती के रंग – 2 : विविध शैलियों और रागों में होली 
धमार, ठुमरी और फिल्मी गीत में फागुनी रचनाएँ 
‘रेडियो
 प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर हमारी नई 
श्रृंखला – ‘होली और चैती के रंग’ की दूसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप
 सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला 
में हम ऋतु के अनुकूल भारतीय संगीत के कुछ ऐसे रागों और रचनाओं की चर्चा कर
 रहे हैं, जिन्हें ग्रीष्मऋतु के शुरुआती परिवेश में गाने-बजाने की परम्परा
 है। भारतीय समाज में अधिकतर उत्सव और पर्वों का निर्धारण ऋतु परिवर्तन के 
साथ होता है। शीत और ग्रीष्म ऋतु की सन्धिबेला में मनाया जाने वाला पर्व- 
होलिकोत्सव, प्रकारान्तर से पूरे देश में आयोजित होता है। यह उल्लास और 
उमंग का, रस और रंगों का, गायन-वादन और नर्तन का पर्व है। अबीर-गुलाल के 
उड़ते बादलों और पिचकारियों से निकलती इन्द्रधनुषी फुहारों के बीच हम 
‘स्वरगोष्ठी’ की इन प्रस्तुतियों के माध्यम से फागुन की सतरंगी छटा से 
सराबोर हो रहे हैं। संगीत के सात स्वर, इन्द्रधनुष के सात रंग बन कर हमारे 
तन-मन पर छा जाते हैं। भारतीय संगीत की सभी शैलियों- शास्त्रीय, 
उपशास्त्रीय, सुगम, लोक और फिल्म संगीत में फाल्गुनी रस-रंग में पगी असंख्य
 रचनाएँ हैं, जो हमारा मन मोह लेती हैं। पिछले अंक में हमने आपको राग काफी 
के स्वरों पर तैरती कुछ फागुनी रचनाओं का रसास्वादन कराया था, आज के अंक 
में हम आपको धमार, ठुमरी और फिल्म शैली की कुछ रचनाएँ सुनवा रहे हैं। ![]()  | 
| गुंडेचा बन्धु | 
ध्रुवपद-धमार
 गायकी में एक युगल गायक हैं- गुंडेचा बन्धु (रमाकान्त और उमाकान्त 
गुंडेचा), जिन्हें देश-विदेश में भरपूर यश प्राप्त हुआ है। इनकी 
संगीत-शिक्षा उस्ताद जिया फरीदउद्दीन डागर और विख्यात रुद्रवीणा वादक 
उस्ताद जिया मोहिउद्दीन डागर द्वारा हुई है। ध्रुवपद के ‘डागुरवाणी’ गायन 
में दीक्षित इन कलासाधकों से ‘स्वरगोष्ठी’ के होली अंकों के लिए हमने एक 
धमार अपने पाठकों/श्रोताओं को सुनवाने का अनुरोध किया था। हमारे अनुरोध का 
मान रखते हुए रमाकान्त गुंडेचा ने हमें तत्काल राग केदार का यह मनमोहक 
धमार, आपको सुनवाने के लिए उपलब्ध कराया। गुंडेचा बन्धु के प्रति आभार 
व्यक्त करते हुए, राग केदार का यह धमार प्रस्तुत है। 
धमार- केदार : ‘चोरी चोरी मारत हो कुमकुम...’ : स्वर – रमाकान्त और उमाकान्त गुंडेचा     
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| पं. छन्नूलाल मिश्र | 
शिव की होली : ‘खेले मसाने की होली दिगम्बर...’ : स्वर – पं. छन्नूलाल मिश्र 
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| आरती अंकलीकर | 
राग - पीलू : फिल्म – सरदारी बेगम : ‘मोरे कान्हा जो आए पलट के...’ : आरती अंकलीकर 
संगीत पहेली 
 
‘स्वरगोष्ठी’
 के 264वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको राग पर आधारित फिल्मी गीत का
 एक अंश सुनवा रहे हैं। इसे सुन कर आपको निम्नलिखित तीन में से किन्हीं दो 
प्रश्नों के उत्तर देने हैं। ‘स्वरगोष्ठी’ के 270वें अंक की पहेली के 
सम्पन्न होने के बाद तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस 
वर्ष की दूसरी श्रृंखला (सेगमेंट) का विजेता घोषित किया जाएगा। 
1 – गीत का यह अंश सुन कर बताइए कि इस गीत में किस राग का स्पर्श है? 
2 – गीत में प्रयोग किये गए ताल का नाम बताइए। 
3 – क्या आप गीत की गायिका का नाम हमे बता सकते हैं? 
आप उपरोक्त तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com  या  radioplaybackindia@live.com पर इस प्रकार भेजें कि हमें शनिवार, 9 अप्रैल, 2016 की मध्यरात्रि से पूर्व तक अवश्य प्राप्त हो जाए। COMMENTS
 में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते है, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर 
भेजने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। इस पहेली के विजेताओं के नाम हम 
‘स्वरगोष्ठी’ के 266वें अंक में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रकाशित और 
प्रसारित गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या 
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी 
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं। 
पिछली पहेली के विजेता  
 
‘स्वरगोष्ठी’
 क्रमांक 262 की संगीत पहेली में हमने आपको 1963 में प्रदर्शित फिल्म 
‘गोदान’ से राग आधारित गीत का एक अंश सुनवा कर आपसे तीन प्रश्न पूछा था। 
आपको इनमें से किसी दो प्रश्न का उत्तर देना था। इस पहेली के पहले प्रश्न 
का सही उत्तर है- राग – काफी, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है- ताल – कहरवा और तीसरे प्रश्न का उत्तर है- मुख्य गायक – मोहम्मद रफी। 
इस बार की पहेली में कुल छः प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया है। हमारी नई प्रतिभागी मुम्बई, महाराष्ट्र से मीरा ठाकुर
 हैं, जिन्होने ‘स्वरगोष्ठी’ की पहेली में पहली बार भाग लिया है और पहेली 
का एकदम सही उत्तर दिया है। संगीत-प्रेमियों के इस परिवार में मीरा जी को 
शामिल करते हुए उनका हार्दिक स्वागत है। हमारे अन्य नियमित प्रतिभागी 
विजेता हैं- चेरीहिल, न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, पेंसिलवेनिया, अमेरिका से विजया राजकोटिया, हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी और वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया। सभी छः प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई। 
अपनी बात  
 
मित्रो,
 ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ में आप हमारी 
श्रृंखला ‘होली और चैती के रंग’ का रसास्वादन कर रहे हैं। श्रृंखला के इस 
अंक में हमने आपसे विविध शैलियों में होली गीतों पर चर्चा की। ‘स्वरगोष्ठी’
 साप्ताहिक स्तम्भ के बारे में हमारे पाठक और श्रोता नियमित रूप से हमें 
पत्र लिखते है। हम उनके सुझाव के अनुसार ही आगामी विषय निर्धारित करते है। 
‘स्वरगोष्ठी’ पर आप भी अपने सुझाव और फरमाइश हमें भेज सकते है। हम आपकी 
फरमाइश पूर्ण करने का हर सम्भव प्रयास करेंगे। आपको हमारी यह श्रृंखला कैसी
 लगी? हमें ई-मेल अवश्य कीजिए। अगले रविवार को एक नई श्रृंखला के नए अंक के
 साथ प्रातः 9 बजे ‘स्वरगोष्ठी’ के इसी मंच पर आप सभी संगीतानुरागियों का 
हम स्वागत करेंगे। 
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र   
 



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