स्वरगोष्ठी – 245 में आज
संगीत के शिखर पर – 6 : उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ
संगीत जगत के आकाश पर चमकते सूर्य – उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ


राग तिलंग : नोम-तोम आलाप : उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ
फ़ैयाज़
खाँ के नाना का घराना खयाल गायकों का था। नाना ने बचपन से ही कठोर रियाज़
कराया। संगीत के घरानों में संगीत-शिक्षा के लिए एक कठोर व्रत का पालन
शिष्य से कराया जाता है, जिसे ‘चिल्ला’ कहा जाता है। इस व्रत के अनुसार
शिष्य को निरन्तर बारह वर्षों तक प्रतिदिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक संगीत
का अभ्यास करना होता है। प्रशिक्षण की इस अवधि में फ़ैयाज़ खाँ ने
स्वर-साधना, ध्रुवपद और होरी गायन का कठिन अभ्यास किया। 25 वर्ष की आयु तक
वे लोकप्रिय होने लगे थे। उनकी गायकी पर अपने नाना ग़ुलाम अब्बास खाँ के
अतिरिक्त तत्कालीन महान गायक नत्थन खाँ, जयपुर के अब्दुल खाँ और सेनिया
घराने के अमीर खाँ का भी प्रभाव था। आइए अब हम आपको उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ के
स्वरों में राग ललित में द्रुत तीनताल का एक खयाल सुनवाते हैं, जिसके बोल
हैं –“तड़पत हूँ जैसे जल बिन मीन...”।
राग ललित : ‘तड़पत हूँ जैसे जल बिन मीन...’ : उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ

राग भैरवी दादरा : ना बनाओ बतियाँ चलो काहे को झूठी...’ : उस्ताद फ़ैयाज़ खाँ
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 245वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको एक तंत्र-वाद्य संगीत रचना
का अंश सुनवा रहे हैं। इस संगीतांश को सुन कर आपको निम्नलिखित तीन में से
किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं। पहेली क्रमांक 250 के सम्पन्न होने
तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस वर्ष की पाँचवीं
श्रृंखला (सेगमेंट) के विजेताओं के साथ ही वार्षिक विजेताओं की घोषणा भी की
जाएगी।
1 – वाद्ययंत्र पर कौन सा राग बजाया जा रहा है? राग का नाम बताइए।
2 – प्रस्तुत रचना किस ताल में निबद्ध है? ताल का नाम बताइए।
3 – यह किस वाद्ययंत्र की आवाज़ है? वाद्य का नाम बताइए।
आप इन तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
पर ही शनिवार, 28 नवम्बर, 2015 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते है, किन्तु उसका प्रकाशन अन्तिम तिथि के
बाद किया जाएगा। विजेता का नाम हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 247वें अंक में प्रकाशित
करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत किये गए गीत-संगीत, राग अथवा कलासाधक के बारे
में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते
हैं तो हम आपका इस मंच पर स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए
COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’
के 243वें अंक की संगीत पहेली में हमने आपको सुविख्यात वायलिन-वादिका डॉ.
एन. राजम् का वायलिन पर बजाया राग जोग का एक अंश सुनवाया था और आपसे तीन
में से किन्हीं दो प्रश्न का उत्तर पूछा था। पहले प्रश्न का सही उत्तर है-
राग – जोग, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है- ताल – द्रुत तीनताल और तीसरे
प्रश्न का सही उत्तर है- वाद्य – वायलिन या बेला।
इस
बार की पहेली के प्रश्नों का सही उत्तर देने वाले प्रतिभागी हैं, हैदराबाद
से डी. हरिणा माधवी, पेंसिलवेनिया, अमेरिका से विजया राजकोटिया और वोरहीज,
न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया। तीनों प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक
इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई।
अपनी बात
मित्रो,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर
जारी हमारी लघु श्रृंखला ‘संगीत के शिखर पर’ के आज के अंक में हमने आपसे
ध्रुपद, खयाल, ठुमरी, दादरा आदि सभी गान-शैली के शिखर पर प्रतिष्ठित उस्ताद
फ़ैयाज़ खाँ के व्यक्तित्व और कृतित्व पर संक्षिप्त चर्चा की है। अगले अंक
में एक अन्य विधा के शिखर पर प्रतिष्ठित व्यक्तित्व पर चर्चा करेंगे। इस
श्रृंखला को हमारे अनेक पाठकों ने पसन्द किया है। हम उन सबके प्रति आभार
व्यक्त करते हैं। ‘स्वरगोष्ठी’ के विभिन्न अंकों के बारे में हमें पाठकों,
श्रोताओं और पहेली के प्रतिभागियों की अनेक प्रतिक्रियाएँ और सुझाव मिलते
हैं। प्राप्त सुझाव और फरमार्इशों के अनुसार ही हम अपनी आगामी प्रस्तुतियों
का निर्धारण करते हैं। आप भी यदि कोई सुझाव देना चाहते हैं तो आपका स्वागत
है। अगले रविवार को प्रातः 9 बजे ‘स्वरगोष्ठी’ के नये अंक के साथ हम
उपस्थित होंगे। हमें आपकी प्रतीक्षा रहेगी।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
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