'बोलती कहानियाँ' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने शेफाली गुप्ता की आवाज़ में श्रीमती रीता पाण्डेय की रचना "संकठा प्रसाद लौट आये हैं" का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार हरिशंकर परसाई के दो व्यंग्य "बाप बदल", एवं "लड़ाई" जिन्हें स्वर दिया है अर्चना चावजी ने।
इन दो कहानियों का कुल प्रसारण समय 5 मिनट 29 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें।
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#23rd Story, Baap Badal & Ladai: Harishankar Parsai/Hindi Audio Book/2012/23. Voice: Archana Chaoji
इन दो कहानियों का कुल प्रसारण समय 5 मिनट 29 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें।
मेरी जन्म-तारीख 22 अगस्त 1924 छपती है। यह भूल है। तारीख ठीक है। सन् गलत है। सही सन् 1922 है। । ~ हरिशंकर परसाई (1922-1995) हर शुक्रवार को "बोलती कहानियाँ" पर सुनें एक नयी कहानी "उनका सौवाँ जन्मदिन तब पड़ रहा था जब उनका लड़का मुख्यमंत्री था।" (हरिशंकर परसाई की "बाप बदल" से एक अंश) यूँ तो चोपड़ा साहब और साहनी साहब का स्वभाव और व्यक्तित्व ऐसा था कि उन्हें अलग से कुत्ता रखने की जरुरत नहीं थी, वे ही काफी थे। (हरिशंकर परसाई के व्यंग्य "लड़ाई" से एक अंश) |
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Comments
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..... यूँ तो चोपड़ा साहब और साहनी साहब का स्वभाव और व्यक्तित्व ऐसा था कि उन्हें अलग से कुत्ता रखने की जरुरत नहीं थी, वे ही काफी थे ........ :-)
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हरिशंकर परसाई जी हिन्दी व्यंग्य के अद्वितीय ..अमिट हस्ताक्षर हैं ....
दोनों ही व्यंग रचनाएं जबरदस्त हैं !
अर्चना चाव जी का स्वर पाठ बढ़िया लगा .... आवाज अच्छी है और उच्चारण भी साफ़ है !
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आभार